Aman Kr Barnwal   (अद्विन)
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🙂
Joined 18 April 2018


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Joined 18 April 2018
31 MAY AT 0:47

बीते दिनों की यादों में कुछ कसक बाकी है
तस्वीरें धुंधली सही पर कुछ चमक बाकी है,
जीवन के हर मोड़ पे मार्ग-विकल्प हैं अनेक
दो-चार रास्ते तय हुए, कई सड़क बाकी है।

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22 MAR AT 20:45

है सुकून उसकी आवाज़ में
कभी गंभीर कभी रोमानी होते हैं हम

गज़ब की कशिश है रेडियो की आवाज़ में।

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21 MAR AT 20:53

दौलत
यश नहीं
धन बिल्कुल नहीं
शक्ति है थोड़ी बहुत
चरित्र ही है सबसे बड़ी

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19 MAR AT 0:51

हतप्रभ सा खड़ा हूं जीवन के इस छोर पर
मूक हो, देख रहा हूं दिन बिताए जोड़ कर,
साथ नहीं पर साथ का आभास अब भी है
देखता हूं हर दिन आपको हर एक मोड़ पर।

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12 MAR AT 11:49

कर्म
सूरज से जीवनदाता नहीं हो माना
पर जुगनू सा  जग में जगमगाना,
बढ़ते रहना, स्वकथा गढ़ते रहना
खुद ही को क्यों न पड़े जलाना....।

सक्षम हो कर विजय होना है सही
अप्रवीण हो तो, प्रयास छोड़ना नहीं,
अनेक विपदाएं  आयेंगी सन्मार्ग में
चलते रहना ,कर्म से मुख मोड़ना नहीं.....।

नदियों से तीव्र-मंद हो सकते हो
पर निरंतर अथक बहते रहना,
पथ के सारे चट्टानों को भेदकर
वीरता की जयकार करते रहना.... ।

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8 MAR AT 18:11

अथाह ऊर्जा से भरी हुई
चंचलता की अलग ही बात है।

जवानी का नाम ही उन्माद है।

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6 MAR AT 18:47

ठंडी थी रात
खाली पेट सोया वो
कल की आस।


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6 MAR AT 14:01

पापा की सीख-

पढ़ें कैप्शन में

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2 MAR AT 7:43


सोच

गजब सोचते थे
मेरा जले हाथ
तुम सेंको अपना,
बाल-बाल बचा मैं
था प्रभु का साथ
तुम देखो सपना ।

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15 DEC 2024 AT 6:50

ज़िन्दगी
ज़िन्दगी की उतार पर बैठ जाना तुम कभी 

मालूम होगा कि नफ़रत कैसे करते हैं सभी,

घिसटते रेंगते आगे  बढ़े अगर  किसी तरह

तो अपने पराये कंकड़-कांटे बिछायेंगे सभी।

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