अमित   (निश्छल)
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शब्द मिलेंगे तब गाऊँगा
Joined 8 January 2018


शब्द मिलेंगे तब गाऊँगा
Joined 8 January 2018
27 APR AT 20:03

संत असंतन्हि कै असि करनी।
जिमि कुठार चंदन आचरनी॥
काटइ परसु मलय सुनु भाई।
निज गुन देइ सुगंध बसाई॥
_श्रीरामचरितमानस (उत्तरकाण्ड)

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18 APR AT 23:43

खनक-खनक कर सिक्कों ने
नोटों को दे दी गाली।
आरोप लगाकर, उन्हें चीखकर
साबित किया मवाली।।

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26 JAN AT 22:11

अभिशप्त,
ये साँसें...;
इन्हें लेकर करूँगा क्या?
ओ देवता!
तुम ही इन्हें
उपहार में रख लो।

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4 JAN AT 19:11

भई, तुम तो समझदार हो
(ऐसा लोग कहते थे),
.
और...,
.
मुझे अधिकांशतः सहना पड़ा...।

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27 NOV 2024 AT 22:43

स्वागत में मैले मन-आँगन
शुचि गंगाजल से धो डालूँ
रूखे मन सिंचित कर-कर के
तारों की फलियाँ बो डालूँ
स्वीकृत यदि पुनः मिलन प्रियतम!
संबोधित कर दूँ सावन को
नामांकित हृदयस्थल कर दूँ
संभाव्य मेल मनभावन हो॥
】अनुशीर्षक【

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15 NOV 2024 AT 18:36

करुणार्द्र कंठ से वाणी के
संतुलित शब्द सब हीन हुए;
नभ में बसने वाले उडगन
अत्यल्प काल में दीन हुए।
रो पड़ा चाँद मेरे दुख से
कुछ यादें बड़ी कसैली थीं;
पावस विभावरी छाई थी
चंदा की आँखें मैली थीं॥

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24 SEP 2024 AT 7:01

The father of a nuclear family is just like a mum for kids, merely he doesn't beget
and suckle them.

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24 SEP 2024 AT 6:33

O haters!
Hate wisely...
Superfluous praxis
destroys its owner.

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17 JUN 2024 AT 10:54

जब, युद्धों को त्याग मछलियाँ
शांति गीत को गाएँगी;
आहार बनेंगी गीधों का
या काटी घीसी जाएँगी।।

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13 JUN 2024 AT 19:28

शिव! मौन रूप में बैठे साधक बन शैल शिखा पर,
शोभित होती हैं गंगा मस्तक पर सजे निशाकर।

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