Sunita Swain   (Aakankshayein)
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मेरे कलम से निकले शब्द ही मेरे निशाँ है
ये कोरा काग़ज नहीं जनाब नीला आसमां है
Joined 14 June 2021


मेरे कलम से निकले शब्द ही मेरे निशाँ है
ये कोरा काग़ज नहीं जनाब नीला आसमां है
Joined 14 June 2021
23 HOURS AGO



आंसुओं को पोंछने वाला कोई नहीं यहां
ज़ख्मों को कुरेदकर क्यों सताते हो भला

✍️Sunita Swain

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23 JUN AT 19:26







किसी को दिया हुआ आश्वाशन
और
किया हुआ वादा
संजीदगी के साथ निभाना ही
वफ़ा है
✍️Sunita Swain
_Aakankshayein

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23 JUN AT 19:17




जीवन के लय ताल का सृजन करो
कैसा हो जीवनकाल ये चिंतन करो
जिंदगी की तस्वीर का चित्रण करो
नए रंगों के समावेश का वर्णन करो
खींच दो ऐसी नई लकीर संवेदना की
सोचे दिमाग से तो दिल में स्पंदन हो
मौत दुख की बात नहीं,है निराट सत्य
दुख तो जिंदगी देती धोखे पे धोखा देती
कुछ करना है तो कल्पना को उड़ान दो
अपनी असीमित इच्छाओं को विराम दो

✍️Sunita Swain
_Aakankshayein

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22 JUN AT 22:25




कहना नहीं था
कह रही हूं
लिखना नहीं था
पर लिख रही हूं
प्यार में ऐसा होता है अक्सर
अपनी इच्छा हो न हो
पर सामने वाले को तवज्जो देते है
परन्तु हां पर ये दोनों समझे तो बेहतर

✍️Sunita Swain
_Aakankshayein

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21 JUN AT 14:37


विश्व योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

योग ही तन मन को
अपने वश में रख सकता
योग ही जीवन को
संतुलित रखने का माद्दा रखता

✍️Sunita Swain

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21 JUN AT 12:21


जिंदगी तेरा भी अंदाज खूब है
सबको कहते सुना है जिंदगी हर पल रंग बदलती है
फिर कुछ लोग क्यों कहते है उनकी जिंदगी तो बेरंग हो गई है

,✍️Sunita Swain

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21 JUN AT 11:24



रात क्यों खामोश है
इंसान नींद में बेहोश है
रात में देखने थे सपने
जो फिर करने थे पूरे
अधूरे काम मत छोड़ो
लगन से तुम नाता जोड़ो
फिर एक दिन आयेगा
सपने भी हो जाएंगे पूरे
फिर रात न होगी खामोश
जमकर जश्न का होगा उद्घोष
✍️Sunita Swain
_Aakankshayein

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21 JUN AT 11:17


जब तक सीखना जारी है
मन को न कभी रखना भारी
हम सदा शिक्षकों के हैं आभारी
ज्ञान की गंगा में लगाकर डुबकी
हमने पहचानी कीमत अपनी
बिन ज्ञान के संसार है अंधा कुआं
मानों बैलों के गर्दन पे पड़ा जुआ
बस कर्म कर और करता चल
कंधों पे तेरे लड़ा हुआ है हल
सीखना है अनंत प्रक्रिया
गुरुओं का करो सदैव शुक्रिया
जिसने हमको काबिल बनाया
जीवन में कैसे रहना ये सिखाया
✍️Sunita Swain
_Aakankshayein


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21 JUN AT 11:04



किनारा कर गई दुनियां
बिलखती रह गई मुनियां
मां बाप का सिर से साया उठा
कमरा सन्नाटे से भर गया
चीत्कार से खामोशी टूटी
किस्मत भी निकली फूटी
वक्त पर दुनिया किनारा कर गई
मुनियां तो जीते जी मर गई
नियति ने भी क्या था ठाना
जिसको समझ था अपना
समय पर वो निकला बेगाना
,✍️ Sunita Swain
_Aakankshayein

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21 JUN AT 9:55



बेहतर करने की चाहत रखना
बेहतरी का ही दम भरना
सज्जनता का है परिचायक
अपने आत्मसम्मान के साथ ही
अन्यों का भी करो आदर मान
निश्चय निश्छल मन को रखोगे संग
जीवन में भी भरने लग जाएंगे रंग
दूसरों की मदद को हाथ बढ़ाना
स्वयं को भी मिलने लगेगा साथ
सच्चाई से सदा रखना गठबन्धन
भाव विभोर हो जाएंगे रघुनंदन
अपनी मर्यादा में रहकर भी कुछ
ऐसा कर जाएंगे,मन होगा प्रफुल्लित
और श्री के द्वार भी होंगे सुसज्जित
Sunita Swain
_Aakankshayein



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