सलाम
-
तुम करती सेवा का दान हो
इस विपदा की घड़ी में तुम साथ हो,
कर रही तुम सबका ईलाज़ हो
इस धरा पर तुम महान हो,
जो करती सभी की सेवा वो नर्स तुम महान हो
तुम्हारे कर्तव्यों को मेरा बारम-बार प्रणाम हो..!
-
ओ मेरी प्यारी नर्स
खूब निभाया फर्ज
आशा की नवकिरण तुम्हीं हो
रोगमुक्त का जतन तुम्हीं हो
जनमानस में अमन तुम्हीं हो
संकट में अब तुम्हीं सहायक
तुम्हीं अष्टभुज तुम्हीं विनायक
निस्वार्थ भाव सेवा में तत्पर
अब लगी हुई है आस तुम्हीं पर
भारत माँ की मूर्ति तुम्हीं हो
इस मानवता की रीति तुम्हीं हो
तुम्हेंअपने तन का लोभ नहीं है
अपने कुटुम्ब का क्षोभ नहीं है
आज गर्व तुम्हीं पर सब करते हैं
हम हाथ जोड़ नमन करते हैं
खूब निभाया फर्ज
ओ मेरी प्यारी नर्स
-
पेशन्ट : नर्स मै आपसे प्यार करता हूँ😍
नर्स : दम है तो अंग्रेजी में बोलकर दिखा
पेशन्ट : I Love you Sister
नर्स : Good.I Love You To Brother. 😙🌹-
लड़की नहीं ऐसा लगता है
कोई 'नर्स' पटाई है मैंने
सुबह से ही शुरू हो जाती है
वो 'डोज़' देने
सुबह 'गुड मॉर्निंग' से पहले
"कब सोये थे" का सवाल होता है
और फ़िर जवाब सुन 'लेट' सोने से
तबियत ख़राब होने का 'बखान' होता है
फ़िर 'लेक्चर" होता है
एक घण्टे का 'हैल्दी नाश्ते' के ऊपर
मैं करना चाहूँ भले ही 'मॉर्निंग लव' की बात
'हेल्थ' की 'सीटी' ही मारता है उसका 'कूकर'
फ़िर बैठ कर दिन भर का मेरा
'डाइट चार्ट' बनाती है
क्या खाना है कितना खाना है कैसे खाना है
याररररर! वो यह सब कुछ बताती है
(पूरी कविता अनुशीर्षक/कैप्शन में पढ़ें...)
- साकेत गर्ग 'सागा'-
सर्वसुविधायुक्त था
वो बड़ा सा अस्पताल।
पर आते नहीं थे पुत्र कभी
पूछने माता का हाल।
फिर अचानक एक दिन
हुआ कुछ ऐसा कमाल।
आने लगे पुत्र सभी
पूछने माता का हाल।
रहा न गया माता से
किया डॉक्टर से सवाल।
डॉक्टर ने कहा युवा नर्स ने
मचाया है यह बवाल।-
नतमस्तक,सत्कार तुझे !
तेरे आत्मसमर्पण के हर दर्जे को दिल करता सौ-सौ बार प्रणाम तुझे
तेरी मिश्री घुली लहजे़ की मिठास के पीछे छुपी होंगी तेरी लाखों परेशानियाँ जरूर
पर समक्ष मरीज़ों के आते ही तेरे चेहरे पर होती है मुस्कान जरूर
ममता भरी नजरों से भर-भर के जब तू प्यार बरसाती है
हर मर्ज़ के दर्द को कम करने का मलहम आँखों से ही लगाती है
हर दवा की कड़वाहट तेरे हाथों की लकीरों में घुल जाती है
जब तू अपने हाथों से सप्रेम ,मरीज़ों को उनका सेवन कराती है
इंजेक्शन की चुभन का तो एहसास यूँ ही मिट जाता है
जब तू बातों में बहला कर उनका ध्यान कहीं और खिसकाती है
समय-समय पर तेरा देखने आना, हर छोटी बड़ी बात पर बराबर निगरानी रखना
काम में कोई चूक ना होने देना,समर्पित भाव से मरीज़ों की हिफ़ाजत करना
नर्स तो तू कहने को है काम को पूजा समझ कर करती है
अस्पताल में एक माँ का रूप है तुझ में जैसे ,तू ऐसे हर फ़र्ज निभाती है ।।
.....रश्मि पत्रलेख
-
जब सब महफूज़ हो
अपने अपने घरों में करते हैं
कोरोना पर विमर्श
तेरी सेवा होती है
कर्तव्य का चरमोत्कर्ष
तेरी कर्तव्यनिष्ठा पर
झुक रहा है अर्श
ओ प्यारी नर्स-
मिलता नहीं ढूँढ़ने से कोई, थम गई यह दुनिया आजकल,
ओ प्यारी नर्स तुम बिना रुके, बिना थके सेवा करती जाती।
लोग भूल रहे हैं अपने ही रिश्तों की क़द्र करना आजकल,
ऐसे में तुम बिना तोले, हर इंसान का इलाज करती जाती।।-