खूबसूरत नजारा👌👌😍
👉 गाँव से Live 😊-
कुछ खास नहीं है,कोई नज़ारा नहीं है,
दिल टूटा ज़रूर है,मगर बेचारा नहीं है।
उसके हर बातों को हंसके माना है हमने,
उसने मेरी बातों को कभी स्वीकारा नहीं है।
वो शहर में सुना रहे किस्से बच्चों की तरक्की के,
बुढ़ापे में फिर भी,कोई सहारा नहीं है।
वो बड़े लोग है गौरव,इनसे बचके रहना है,
अब इतना बड़ा होना, हमें गवारा नहीं है।-
ख़ामोश सी एक नदी का किनारा था
किनारे पर खड़ा एक हरा-भरा दरख़्त था
दरख़्त के नीचे एक चटाई बिछाई थी
चटाई पर फूलों की सेज़ भी सजाई थी
तभी एक मदमस्त हवा का झोंका आया
ज़ालिम झोंके ने मासूम पंखुड़ियों को उड़ाया
उड़ती-उड़ती पंखुड़ियां जा पहुंची उनके कऱीब
खुली थी ज़ुल्फें जिनकी, देखता रहा मैं गऱीब
बला का हुस्न था, हुस्न में ख़ुशनुमा रवानी थी
शुरू हुई यहीं से हमारी मोहब्बत की कहानी थी
आज भी बैठे हैं उसी नदी के किनारे
मगर नदी में अब उफ़ान है
दरख़्त है अभी भी वहाँ
पर वो भी अब 'हरे' से अन्ज़ान है
चटाई है, पर मटमैली सी
फ़ूल हैं, पर मुरझाये से
हवा का झोंका भी अब गर्म है
हमारी तबीयत भी कुछ नर्म है
लगता है जैसे कुछ कमी है
मौसम में घुल रखी नमी है
ना वो खुली ज़ुल्फ़ों का नज़ारा है
ना उसके हुस्न के दीदार का सहारा है
बैठा हूँ मैं अब भी वहाँ
भूल आया हूँ अपना सारा 'जहां'
इंतेज़ार है, क़रार है
ख़ुदा है, उस पर ऐतबार है
- साकेत गर्ग-
गर्मियों की वो शाम, जब!
गांव के सारे बच्चे स्कूल में,
पकड़म पकड़ाई, छूपम छुपाई,
बड़े बुजुर्गो की अलग ही मंडली,
किस्से कहानियां और हुक्का पानी,
औरतों की पंचायतें पनघट पर होती,
पायल की रुनझुन और ठंडी मटकी,
सब कुछ मेरे ज़हन में आते रहते है,
वो खेल, वो किस्से, वो कहानियां,
वो शामें, वो पनघट, वो नजारा,
सब कुछ हमने सहजता से खो दिया,
और अब सुकून की तलाश में भाग रहें है,,,-
आसमान में आज क्या रंजिशें छाई है,
सबके लबों पे मुस्कुराहट आई है,
हमकों भी दीवाना कर दिया इस नजारे ने,
लगता हैं खुशियों की सौगात लाई है।-
तेरा 'जिक्र' ही काफी होता है इस दिल में हलचल मचानें के लिए ;
जरा सोच 'नजारा' क्या होगा जिस पल तु सामने होगी !-
इन हवाओं में
इन फिजाओं में
इन घटाओं में
इन नजारों में तुम्हें ही ढूढेगा
तुम कितना भी मना करो
तुम क्यों न भूल जाओ
मगर ये दिल न मानेगा...
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कितना खूबसुरत प्रकृति का ये नज़ारा है।
आसमां ने जमीं पर जो आज उतारा है।।-
कहीं दूर
काफी दूर ..
शायद, मेरे मन के
विस्तृत "क्षितिज" पर
मिल रहे थे
आसमां और जमी
जैसे मैं और तुम हो
मैं नजर भर देखू इसे
ये कितना सुंदर नजारा
ये इतना बड़ा धोखा..!-