स्थिर हालातों को कब तक देखोगे,
इस किस्मत को कब तक कोसोगे,
उठो जागो अकर्मण्यता को करो धराशाही,
अब तुम कर्म युद्ध को कब तक रोकोगे,
इरादों को दृढ़ कर बढ़ने का संकल्प धरो,
कर निर्णय निश्चय प्रखर इच्छाओं को पूर्ण करो,
यूं सहते सहते सुनते सुनते काम नहीं चलने वाला,
हो तीक्ष्ण तेज उग्र प्रचंड ऐसी एक हुंकार भरो,
राह कठिन है चलना होगा अंत तक लड़ना होगा,
पराकाष्ठा तक जलना होगा कंकड़ से कनक बनना होगा,
आंख का हर एक आंसु मोती ना बन जाए तो कहना,
लेकर अटल अडिग प्रतिज्ञा सफ़र शुरू करना होगा,
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