गणेश चौथ
माता का उपवास
पुत्र दीर्घायु
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Mukta Srivastava
(मुक्ता)
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निःशब्दता को मिला पूर्णविराम, भावनाओं को मिला शब्द ज्ञान।
Joined 12 May 2019
11 AUG 2021 AT 18:54
जाने से पहले एक बार हम तुम्हें नज़र भरकर देख लेते।
न रहते यूँ ख़ामोश लब़ मौन अपना तोड़ देते।।
प्रेम के दो अनमोल बोल नयन -नयन से बोल लेते।
दूर तुमसे होने का ग़म आँसुओं में घोल देते।।
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8 APR 2021 AT 1:19
यहीं छूट जायेगा एक दिन सब कुछ।
जब तक है जान ख्वाहिशें हैं बहुत।।-
2 APR 2021 AT 1:16
तुम्हारे सहारे अब मेरी हर ख्वाहिश है।
साथ देना हर क़दम तुमसे यही गुजारिश है।।-
28 MAR 2021 AT 21:54
फागुन महीनवा में रंग गयी डाली।
लाल,पीले फूल खिले छाई हरियाली।।
सपने जगे आंखों में जो थी सूनी-सूनी।
घर आये परदेशी खुशी हुई दूनी।।
-मुक्ता
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