Mukta Srivastava   (मुक्ता)
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निःशब्दता को मिला पूर्णविराम, भावनाओं को मिला शब्द ज्ञान।
Joined 12 May 2019


निःशब्दता को मिला पूर्णविराम, भावनाओं को मिला शब्द ज्ञान।
Joined 12 May 2019
21 JAN 2022 AT 21:38

गणेश चौथ
माता का उपवास
पुत्र दीर्घायु

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21 JAN 2022 AT 21:31

शुभ चतुर्थी
आकाश में मयंक
निहारे अम्मा

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5 OCT 2021 AT 21:00

दिल को अपने मनाने की
नादान है ये कि मानता नहीं

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27 SEP 2021 AT 1:50

तेरा मुस्कराना ठीक था
मगर उसके बाद मैंने
शर्माना छोड़ दिया

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16 SEP 2021 AT 10:51

निराश कभी मत हो

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12 SEP 2021 AT 15:49

प्रेम अगन
प्रियतम से मेल
हर्षित मन

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11 AUG 2021 AT 18:54

जाने से पहले एक बार हम तुम्हें नज़र भरकर देख लेते।
न रहते यूँ ख़ामोश लब़ मौन अपना तोड़ देते।।
प्रेम के दो अनमोल बोल नयन -नयन से बोल लेते।
दूर तुमसे होने का ग़म आँसुओं में घोल देते।।

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8 APR 2021 AT 1:19

यहीं छूट जायेगा एक दिन सब कुछ।
जब तक है जान ख्वाहिशें हैं बहुत।।

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2 APR 2021 AT 1:16

तुम्हारे सहारे अब मेरी हर ख्वाहिश है।
साथ देना हर क़दम तुमसे यही गुजारिश है।।

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28 MAR 2021 AT 21:54

फागुन महीनवा में रंग गयी डाली।
लाल,पीले फूल खिले छाई हरियाली।।
सपने जगे आंखों में जो थी सूनी-सूनी।
घर आये परदेशी खुशी हुई दूनी।।





-मुक्ता












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