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बहुत सी सामान्य बातें,
बहुत समय के बाद समझ आती हैं।
पहाड़, पर्वत, इमारतें —
यहाँ तक कि रिश्ते भी,
सब समय के साथ क्षयशील हैं।
आप जिनको संरक्षित करोगे,
वही आपको संरक्षित करेंगे
अथवा कर सकेंगे।
यह निश्चित है।
संबंध या व्यवहार एक प्रतिक्रिया है,
जो आपकी क्रिया पर निर्भर है।
इसका स्व-उदगमित होना,
सामान्यतः नहीं होता है।-
वो जो
आत्मा पर लहू
लगा कर गया हो
जिसके विश्वास की नींव
हिला दी तुमने
जिसके लिए 'अंतिम भ्रम'
भी ना छोड़ा गया
अगर वो लौट भी आए
तो "वो" नहीं आता-
वो जो...
बिलकुल शांत बैठी
एक टक आसमान देखती है
उफनता दूध देखती है,
जलती रोटी देखती है,
घूमता पंखा देखती है,
देख लेती है बहता खून,
टूटे शीशे ,गहरा जख्म
उतरे चेहरे,
सूजी आंखें...
रात से सुबह तक
ढलता चाँद देखती है
न जाने ज़िंदगी में
क्या-क्या देखती होगी
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दुख...दो लोगों को
करीब ले आता है
और जिन्हें
वो भी नहीं ला पता,
वो सदा के लिए दूर हो जाते हैं !-
बड़ी सरलता से वो मेरे प्रेम का मूल्य चुकता है
मेरी नाराजगी को अपनी व्यस्तता का हवाला नहीं देता-
हम
दुख की सारी किस्तें
याद रखते हैं
अतीत में खोया किस्त
भविष्य में छुपा किस्त
वो किस्त भी
जिसका गबन हो
प्रेम करने वाला...
प्रेमी बाद में
सबसे पहले
अपने दुख से प्रेम करता है
ईश्वर ??
वो तीसरे पायदान पर है!!-