तुम्हारी रूचि
अभिरूचि जानकर
मैं कभी तुम्हारी,
आत्मीय नहीं होना चाहती थी।
मैं जानना चाहती थी
की उन
रुचियों,अभिरुचिओ को,
तुममें कितनी रूचि है।-
मैं ये नहीं कहता असभ्य बनो,
लेकिन आजकल जैसे हालात हैं
सभ्य के साथ साथ
थोड़ी बहुत धूर्त भी बनो-
यदि लोग बुरे होते हुए भी धूर्त हो
तो वह सभ्य लोग कहलाते हैं
यदि आप सभ्य होते हुए भी धूर्त ना हो
तो आप असभ्य लोग कहलाते हैं-
कोरोना काल में क्यों न हम लें यह संकल्प
इससे पृथक हे मनु और कोई नहीं विकल्प
ध्यान धरो प्रकृति की यही शुभ लग्न-मुहूर्त
नष्ट हो जाएग मानव यदि बने रहे तुम धूर्त-
प्रसन्नता का सिर्फ़
एक ही सूत्र
दूर रहें उनसे
जो हैं धूर्त
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भ्रष्ट, बेईमान, हरामखाऊ, ये साले रिश्वतखोर धूर्त
ये दो कौड़ी की औकात भी न रखने वाले रईसजादे
इतने बेशर्म है और नासमझ बनते है
जैसे ये सही गलत बातों से परे है,
और अनभिज्ञ है अच्छाई और बुराई से,
इनका मानवता से कोई वास्ता नहीं है
इसीलिए इनकी हेकड़ी निकालने और
अकल ठिकाने लाने के लिए पारदर्शी कानून चाहिए।-
हृदय अपना बचाने को स्वयं पर किया उपकार,
धूर्त्त, स्वार्थी संगत को अब चित्त से दिया उतार!-
ये पागल, ये वहशी दरिंदो, की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है l
ये पैसों के पुजारी नक़ाबपोशो की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है l
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शातिर धूर्त और चालाक लोग
अपने फायदे के लिए
रिश्ते बनाता हैं और
अपने हिसाब से उसका इस्तेमाल
करता रहता हैं और जब उसे
लगता है कि सच सामने
आने ही वाला है, उससे पहले ही
वो नए शिकार की
तलाश में निकल जाता है।
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