QUOTES ON #धूप_छाँव

#धूप_छाँव quotes

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20 JAN 2019 AT 23:36

मै चिट्ठी धूप
कि कोई और तुम
पता छांव का

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तू धूप-सा बिखरा रहता है,
मैं जैसे उसमें अँधेरी छाँव पिया,
तू करता है जहाँन को रौशन,
मैं जैसे उसमें काली घटाएँ पिया,
तू नील गगन-सा दिखता है,
मैं जैसे काली-सी रात पिया,
तू शीतल हवा-सा बहता है,
मैं जैसे एक तूफान पिया,
तू निर्मल जल-सा मीठा पानी है,
मैं जैसे एक खारा समुद्र पिया,
तू सुबह के खिलते सूरज जैसा है,
मैं एक उदास-सी शाम पिया,
अब तू ही बता हममें मिलान कहाँ...?
लेकिन फिर भी भूल ना जाना पिया,
कोई बरसों से कर रहा तेरा इंतज़ार यहाँ,,

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30 JUL 2021 AT 12:01

बारिश अब धीरे धीरे रुकनी चाहिए,
काले बादलों से रोशनी निकलनी चाहिए...😏
शायरी लिखना ही मकसद नहीं है हमारा,
कम से कम चड्डी-बनियान तो सूखनी चाहिए...🤐

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8 AUG 2018 AT 11:24

मैं हूँ यादों में जी रही,
जहाँ है सदा छाँव मिली,
ना है कभी धूप खिली,

धूप गर होती तो,
यादों का सफ़र,
यूँ आसान होता,

धुंधली पड़ी,
तेरी यादों को,
छाँट दिया होता,

यादों में सुकून होता,
या कहूँ..
सुकून में यादें होती,

तेरी मेरी यादें,
कभी धूप कभी छांव,
ना ढूँढ़ रही होती..

-My words #Anamika







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5 MAR 2019 AT 1:09

सुबह की धूप आँखों को चुभती है,
और रातों में निगाहें रौशनी तलाशती है,
लोग कहते है कुछ अजीब उसे,
पर तकलीफें उसकी सिर्फ वो ही जानती है,
साथ होकर सब के भी,
वो हरदम अकेली है,
क्योकिं जीवन उसका एक,
अनसुलझी पहेली है,
क्या समझाए किसी को वो यात्नाएँ अपनी,
जब खुद ही इनसे अनजान है,
दुसरों के साथ साथ वो,
खुदसे भी परेशान है ।

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8 JAN 2018 AT 13:34

कभी बरसा जाता है,
बरखा और बर्फ ये
कभी सूर्य की किरणें
सर्दी के दोपहर वाली
उफ, ये तुम्हारा प्रेम भी
बेहद अजीब है,
कभी चुरा ले जाता है
मेरी धूप और छाँव भी

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8 JUL 2020 AT 16:00

रिश्तों की तरह
ही बदलती रहती
हैं आज कल
== == ==
== काव्यांजलि ==
== अनुशीर्षक में पढ़िए ==

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11 OCT 2020 AT 23:46

कहीं थोड़ी धूप, कहीं थोड़ी छाँव, कहीं कुछ साये हैं,
क्या हो आप, आप खुद को कितना समझ पाये हैं??

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2 SEP 2019 AT 22:24

नही आने दूंगा आंच एक भी
सारे आग सह जाऊंगा
धूप लगे करारा तुझको
बादल बन सूरज ढक जाऊंगा

तू सुंदर गुलाब बानी रह
मैं ही कांटा बन जाऊंगा
दुख न तेरे पास आएगा
जब जब तेरे साथ रहूंगा

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12 APR 2019 AT 18:14

धूप-छाँव
कच्ची पगडंडी और मेरा गाँव
पग पग जिस पर चलते राहगीर
नीम और बरगद के पेड़ो की छाँव
छाँव तो ठंडी लगती है सभी को
मुझको तो शीतलता देती है धूप
वो सर्दियो की गुनगुनाती धूप
तो गर्मियो में चिलचिलाती धूप
झमझमाती बारिश के बाद खिली धूप
वो खिड़कियों दरीचो से झाँकती धूप
दुपहरी में गाँव के कुँए में उतरती सुनहरी धूप
वो सुनहरी शाम में ढ़ली धूप
हर रंग में कितनी खूबसूरती लिए है धूप

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