हवा, ऋतु, बहार, मौसम सब ही बेगानी हैं, मन की ना हो तो सब ही बेईमानी सी हैं...!! -
हवा, ऋतु, बहार, मौसम सब ही बेगानी हैं, मन की ना हो तो सब ही बेईमानी सी हैं...!!
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हैं ये जहान सच में खुबसूरत या लगा ही था मुझको, या हैं ये बहम मेरा! जिसकी खबर ही नहीं मुझको।। -
हैं ये जहान सच में खुबसूरत या लगा ही था मुझको, या हैं ये बहम मेरा! जिसकी खबर ही नहीं मुझको।।
मैंने वीरानी भी इक हद तक जानी हैं जाना.... एक वो हैं! जाना, उल्फ़त भी ना जाना..... -
मैंने वीरानी भी इक हद तक जानी हैं जाना.... एक वो हैं! जाना, उल्फ़त भी ना जाना.....
खुशनुम़ी में जो दिन हैं गुजारे हम ने, इनमें भी न तुम्हारी ही इबादत रही।। -
खुशनुम़ी में जो दिन हैं गुजारे हम ने, इनमें भी न तुम्हारी ही इबादत रही।।
बनिया बोला अब उधार नही मिलता, सरकार कहीं अब हर अधिकार नही मिलता।। -
बनिया बोला अब उधार नही मिलता, सरकार कहीं अब हर अधिकार नही मिलता।।
ये जो मुतमइन दिन नहीं गुजरते, कही रात मयस्सर नही होती । जीवन धारा बहती जाती , इक रोज मुसलसल बात नही होती ।। -
ये जो मुतमइन दिन नहीं गुजरते, कही रात मयस्सर नही होती । जीवन धारा बहती जाती , इक रोज मुसलसल बात नही होती ।।
हंसना हैं, रोना हैं, फिर सब भूल जाना है फक़त इतना ही क्या तेरा अफ़साना है... -
हंसना हैं, रोना हैं, फिर सब भूल जाना है फक़त इतना ही क्या तेरा अफ़साना है...
ऐसे भी मंजर मैं यूँ ही देखता रहा , अपने अंगने जमीं बंजर देखता रहा !! -
ऐसे भी मंजर मैं यूँ ही देखता रहा , अपने अंगने जमीं बंजर देखता रहा !!
यक्सर कुसूर ही हमारा ही रहा, तामीर के तफ्तीश में जो न रहा।। -
यक्सर कुसूर ही हमारा ही रहा, तामीर के तफ्तीश में जो न रहा।।
जीने की चाह से रार है जैसे , मौत का मंजर प्यारा लगा.... -
जीने की चाह से रार है जैसे , मौत का मंजर प्यारा लगा....