Akanksha Yadav   (Akanksha Barothe)
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Joined 18 November 2019


Joined 18 November 2019
22 MAR 2023 AT 22:20

हवा, ऋतु, बहार, मौसम सब ही बेगानी हैं,
मन की ना हो तो सब ही बेईमानी सी हैं...!!

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24 NOV 2022 AT 20:44

हैं ये जहान सच में खुबसूरत या लगा ही था मुझको,
या हैं ये बहम मेरा! जिसकी खबर ही नहीं मुझको।।

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12 DEC 2021 AT 16:04

मैंने वीरानी भी इक हद तक जानी हैं जाना....
एक वो हैं! जाना, उल्फ़त भी ना जाना.....

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14 OCT 2021 AT 23:30

खुशनुम़ी में जो दिन हैं गुजारे हम ने,
इनमें भी न तुम्हारी ही इबादत रही।।

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22 JUN 2021 AT 15:06

बनिया बोला अब उधार नही मिलता,
सरकार कहीं अब हर अधिकार नही मिलता।।

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21 JUN 2021 AT 14:28

ये जो मुतमइन दिन नहीं गुजरते,
कही रात मयस्सर नही होती ।
जीवन धारा बहती जाती ,
इक रोज मुसलसल बात नही होती ।।

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15 JUN 2021 AT 12:35

हंसना हैं, रोना हैं, फिर सब भूल जाना है
फक़त इतना ही क्या तेरा अफ़साना है...

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5 JUN 2021 AT 21:59


ऐसे भी मंजर मैं यूँ ही देखता रहा ,
अपने अंगने जमीं बंजर देखता रहा !!

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5 JUN 2021 AT 21:32

यक्सर कुसूर ही हमारा ही रहा,
तामीर के तफ्तीश में जो न रहा।।

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29 MAY 2021 AT 15:32

जीने की चाह से रार है जैसे ,
मौत का मंजर प्यारा लगा....

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