आंसू ही है जो जीवन भर हमारे साथ रहते है
दुख हो या सुख भावनाओं के रूप में बहते है
कभी सोचा न था इन आँखों से निकले
आंसू एक दिन व्यर्थ हो जाएंगे
अब तो यूँ लगने लगा है
की दिल तड़पता है
तो आंसू निकल
ही जाते है
हर दुख सह जाऊंगी पर आँसुओं को कैसे समझाऊंगी
लोग पढ़ लेते है मेरे आंसुओ से मेरा दर्द ना चाहते
हुए भी बयान कर जाते है मेरी मुहब्बत
की दास्तां जहां बहाये थे कभी
मैंने अपने बेशुमार
आंसू.....
कल तक इन आँखों से आंसू न गिरने दिया था
तुमने आज उन्ही आंसुओं से सौदा करने
चले ना जाने कहाँ से लाते हो तुम
इतनी नफरत की तुमने खून के
आंसुओं को भी पैसों में
तोल दिया...-
दुखो के बाजार में हमारा बचपन गुज़रा है
ज़िन्दगी के हर दर्द को बहुत करीब से महसूस किया है
ज़िन्दगी के हर उस मंज़र से निकल चुकी हूं
जहाँ से पार होना नामुमकिन सा था....
आंसू पोंछने वाला कोई न था
खुद ही रो कर चुप कर जाया करती थी....
मगर ज़िन्दगी ने हर चुनौती को स्वीकार करना सिखाया....
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अपनों को उनके
अपनों से बिछड़ते हुए
देखने का दुख़ ज्यादा गहरा
और दर्दनाक होता है।-
जीवन एक सफर है
जिसमे कुछ हसीन लम्हे होंगे
तो कही दुःखो की दास्तां
कभी अपने भी पराये लगेंगे
तो कभी पराये भी अपने
कभी ज़िन्दगी खूबसूरत लगेगी
तो कभी वही ज़िन्दगी बेरंगीन
उतार चढ़ाव और सुख दुख
चलते रहते है ज़िन्दगी के संग
ज़िन्दगी एक सफर है खेल नही
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गम बहुत है खुलासा कौन करे?
मुस्कुरा देता हूं यूं ही,अब तमाशा कौन करे?-
ख़ुद की आँखों को तो इक ज़र्रा रुला देता है,
ग़ैर की आँख का आँसू भी मगर पानी है।-
हुज़ूर ज़माना बदल रहा है आप भी बदल
जाइए अत्याचारों से निजात तभी पाओगे
जब बेदर्द रिश्तों को भूल कर आवाज और
हाथ दोनों तुम भी उठाओगे-
तो सब तेरी खातिर कर जाउँ
ना हो परवाह दुनिया की
न कभी खुद की ।।
तेरे लिए दुनिया से
लड़ जाऊँ
कर दूँ कुरबान अपनी
खुशियों को जो
जो कभी बने तेरे दुखो
का कारण
खुशी से लगा लूं गले अपनी
मौत को जो कभी
बीच तेरी खुशियों
के आऊँ ।।
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परिस्थितियाँ मनुष्य को कष्ट पहुँचा सकती हैं, धक्का दे सकती हैं, पर रगड़कर नष्ट नहीं कर सकतीं। मनुष्य परिस्थितियों से बड़ा है, बशर्ते वह 'मनुष्य' हो ! किसी तरह जीवित रहकर मरने की तैयारी करते रहनेवाला भुनगा नहीं
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दिल मिरा टूटा गया बस अहसास से खुश़ हूँ
काँच सा बिखरेगा सिर्फ़ उसी बात से खुश़ हूँ
जिस्म कोई छूकर पाने की चीज़ नहीं ज़ालिम
तवायफ़ भी बोल उठी मैं अपनी ज़ात से खुश़ हूँ
वो आये किसी और के प्यार का लतीफ़ा देने
उनको देख मैं अब बस अपनें हालात से खुश़ हूँ
सूख गये ख़्वाहिशों के दरिया मिरे दिल में
इश़्क में डूबे प्रेमियों की मुलाक़ात से खुश़ हूँ
कई आये और हमें गोरे - काले में बाँट गये
पर मैं तो अब बस सभी के जज़्बात से खुश़ हूँ
सुख दुःख तो चलता रहता हैं ज़िन्दगी में "आरिफ़"
इतना मुझे मिल गया मैं बस इसी बात से खुश़ हूँ
ज़िन्दगी तो "कोरा काग़ज़" है कभी भी गल जायेगी
कलम ने लिखना सीख लिया इन्ही इनायात से खुश़ हूँ-