शुभम कवि  
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Joined 19 September 2018


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Joined 19 September 2018
17 APR AT 1:20

कहां ढूंढोगी सुकून कहां जाओगी ज़माना ही खराब
है हर जगह एक ही जैसा सख्स पाओगी

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19 MAR AT 23:33

मुझे मालूम है यहां हर सख्स मुझसे बस स्वार्थ से रिश्ता निभाता है छोड़ तो दूं सबको बस औरों के जैसा बनना ही ये दिल नही चाहता है

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21 DEC 2023 AT 23:41

हुज़ूर इश्क़ बहुत खूबसूरत है बस कोई समझ उसे नही पाया है
इंसान इश्क से चोट नही खाया बस इंसान ने ही हमेशा गलत इंसान से दिल लगाया है

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30 NOV 2023 AT 18:42

एक अच्छी फसल के लिए एक अच्छा बीज बोते है
कुछ नया पाने के लिए ज़िन्दगी में पुराना सब कुछ खोते है

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22 APR 2023 AT 19:38

गमों के सहारे हुजूर कहां होता जिंदगी का गुज़ारा है
सुंदर चेहरा मासूम आंखें जिसे नज़र नही आई वो ना
कल तुम्हारा था न आज तुम्हारा है

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27 NOV 2022 AT 21:35

कोई किसी के लिए चाँद बन रहा है तो कोई किसी के लिए बन रहा सितारा है फिर भी तो मेरे यार कोई बन नही पा रहा हमारा है

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21 OCT 2022 AT 13:53

ना तन अपना ना मन अपना खुदा का है जो भी है साफ
रखो रोम रोम अपना थोड़ा तो अपने अंदर वो भी है

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16 OCT 2022 AT 12:02

दुनिया से कुछ कहने का ना कल ज़माना था
ना आज ज़माना है इंसान अपनी ज़िन्दगी में
गमों को भी खुद ही लता है खुशियों को भी खुद
ही लाना है

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16 OCT 2022 AT 11:31

औरों के लिए कब तक खुद को हम ही जलाएंगे
अंधेरा है यहां भी क्या कभी वो भी हमे देखने आयेंगे

शब्द कम पढ़ने लगे है इतना दिखावा जो ज़माने में है
यहां तो अपना ही अपनों को लगा रहता आजमाने में है

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1 OCT 2022 AT 19:14

एक स्त्री जानती है हर शख्स की सोच
पहचानती है बेवकूफ है दुनिया जो उसे
बेवकूफ मानती है

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