शुभम कवि  
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Joined 19 September 2018


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21 JUL AT 3:27

रिश्तों की डोर में पढ़ गई गांठ है पता नहीं कब टूट जाए इसी पर सब की अटकी रहती सांस है

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15 JUL AT 2:24

प्रेम के बिना ही जीवन खुशियों से
भरा है लगाव ने अपनों को अपनों
ने ही ज्यादा छला है

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काश कि जो इंसान लिखता है वही रिश्तों मैं कर जाता
आज का जीवन गमों के जगह खुशियों से भर जाता

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20 MAY AT 18:55

मौसम थोड़ा और बदल जाने दो
पानी गिरने दो और फूल आने दो

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21 DEC 2023 AT 23:41

हुज़ूर इश्क़ बहुत खूबसूरत है बस कोई समझ उसे नही पाया है
इंसान इश्क से चोट नही खाया बस इंसान ने ही हमेशा गलत इंसान से दिल लगाया है

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30 NOV 2023 AT 18:42

एक अच्छी फसल के लिए एक अच्छा बीज बोते है
कुछ नया पाने के लिए ज़िन्दगी में पुराना सब कुछ खोते है

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22 APR 2023 AT 19:38

गमों के सहारे हुजूर कहां होता जिंदगी का गुज़ारा है
सुंदर चेहरा मासूम आंखें जिसे नज़र नही आई वो ना
कल तुम्हारा था न आज तुम्हारा है

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27 NOV 2022 AT 21:35

कोई किसी के लिए चाँद बन रहा है तो कोई किसी के लिए बन रहा सितारा है फिर भी तो मेरे यार कोई बन नही पा रहा हमारा है

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21 OCT 2022 AT 13:53

ना तन अपना ना मन अपना खुदा का है जो भी है साफ
रखो रोम रोम अपना थोड़ा तो अपने अंदर वो भी है

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16 OCT 2022 AT 12:02

दुनिया से कुछ कहने का ना कल ज़माना था
ना आज ज़माना है इंसान अपनी ज़िन्दगी में
गमों को भी खुद ही लता है खुशियों को भी खुद
ही लाना है

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