बीत गये बंधन के
गिन के बारह दिन
आवाह्न है भारत से
नव दीप जलाओ
जग में फैला है
अंधियारा, रजनी के
इस नव बेला पर
नव निरंतरता तक
नव दीप जलाओ।-
कुछ नया नही है
सब पुराना है
नही बनी कोई दवा
उसे ऊर्जा-शक्ति से ही हराना है-
बीती जाए ये एकादश, बीती जाए अधिमास कन्हैया..
कैसे करूंँ मैं कन्हाई, कैसे करूंँ दीपदान रे कन्हैया...-
अंधेरा रह न जाये मन के तले
स्नेह में बाती बन हम जले
कुछ घृत सा प्रेम तुम भी करो
आओ दीपक बनके संग जले।-
दिवाली नही ये दीपदानोत्सव है कुछ तो फ़र्क़ किया करो
आतिशबाजी का शौक़ है तो घर पर हि किया करो
ये शहर नही मेरा गाँव है मेरे फसलों की फ़िक्र किया करो
दीप जले तो रौशन रहे बल्ब की दुकान से व्यापार ना किया करो
ना भूल गाड़ियों की उड़ान में मेरे जानवरों की फ़िक्र किया करो
काल्पनिकता सुनने को ठीक है वास्तविकता में भी जिया करो
अपने खुद की सोच कर औरों का नुक़सान ना किया करो
किसी एक दिन की ना बात है नए साल के दिन भी अमल किया करो
दिवाली नही ये दीपदानोत्सव है कुछ तो फ़र्क़ किया करो-
जो भाई अपने भाई के लिए
दिल में दीप ना जला सके
जो अपनों से गले ना मिला सके
वो दीपदानोत्सव ना समझाइए-
म्हणू नकाे आसवात माझे,
बुडून केव्हाच स्वप्न गेले..
उदास पाण्यात साेडलेले,
प्रसन्न ते दीपदान हाेते !
(सुरेश भट)
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माधव..
श्रीरघुवर रघुनाथ आज घर पधारे जी,
आओ माधव दियरा घाट पर दीपदान करे,
जगमग जगमग सजी है अयोध्या धाम,
अनुपम दिव्यलोक सी लिए छटा मनोहारी,
माधव आओ करे स्वागत आज आप सहित,
श्रीरामचन्द्र जी पधार रहे माता सीता जी संग,
सब तरफ है मंगलगान छाई खुशियों की बहार,
आप पधारो तो हम सजाए दुल्हन सी अयोध्या धाम,
माधव मांड्या मांडणा सजायो चौक रंगोली रंग,
पुष्पों से सजी हुई है कुँजगली आई बहार निराली,
माधव आप पधारो तो मुरली सरस सुण लेवा,
आओ गोविंद श्रीश्यामाजू श्याम आप भी पधारो,
रस रास को करो आनंद मोरे रासबिहारी जू,
गजानन लक्ष्मी जी संग पधारया कुबेर महाराज,
सब देवी देवता पधारया आप पधारो नाथ..✍🏼🐦-