इस मौसम में बारिश का क्या फायदा
कोई दिल से रूठा हो तो मनाने का क्या फायदा
फायदे के लेन–देन से दूर इसका मोहब्बत में क्या फायदा-
आइए देखते हैं नज़र क्या–क्या देख सकता है
उथला–उथला देख सकता की गहरा देख सकता है-
मेरे शायरी का ताल्लुक
मेरे तजुर्बे से तो नही था
मैं जो लिखता था
वो भी हकीकत तो नही था
गुस्से–गुस्से में
जो चिल्लाया भी कभी
गुस्से में था
पर रोया तो नही था
था मेरे ही हिस्से में
टूटने का मजा
मैं इस कदर टूटा
पर बिखरा तो नही था
क्या–क्या हुवा जिंदगी में
कब–कब हुवा
दुनिया ही चालाक निकली
मैं बच्चा तो नही था
मेरे शायरी का ताल्लुक
मेरे तजुर्बे से तो नही था
मैं जो लिखता था
वो भी हकीकत तो नही था-
नया साल है नए किरदार में गुजरे
खबरदार हैं जरा भी बेकार ना गुजरे
कि है मेहनत तयारी बीते साल में ही
फसल जो उगे तो खुशगवार से गुजरे
जुड़े हैं मिट्टी से उम्मीद की बारिश से
नए जड़ें भी सदाबहार हों छायादार हों
जो कोई गुजरे हमारे आसपास से तो
खुश होकर ही गुजरे लाज़वाब होकर गुजरे-
नवा साल नवा गोठ कहिबो
सबो ला भाए निक लागए
बने बने रहू पीरा म झन परहु
जेने ला मिलबो तेने ला कहिबो
नवा साल नवा गोठ कहिबो
सबो ला भाए निक लागए-
ये महबूबा ये प्यार ये दिल
ये सब बर्बादी के नाम हैं
दूर ही रहना लोगों
ये बड़े बे-रहम किरदार हैं-
आखरी रात है ये
कल जो सुबह हुवि
तो शाम कभी ना होगी
हम मिले होंगे कभी पर
अब कभी ना मुलाकात होगी-
इन रातों का शुक्रगुजार हूं मैं
दिन कि सारी थकान के बाद
आई हैं सुकून के पल देने
तुझे चैन से याद करने
अंधेरे में रोशनी कि तरह
आखों में भरने सपने देने
गुफ्तगू बिना किसी रुकावट
बिना किसी जीझक
जैसे कानों में मधुर संगीत देने
एहसास जैसे कोमल किसी
गुलाब कि ओस से नम पंखुड़ी
मुझको उससे गले मिलने देने
खुशबू जैसे बारिश से भींगी
मिट्टी कि तरह उसके गाल
मेरे दिल में बसने उतरने देने
इन रातों का शुक्रगुजार हूं मैं
दिन कि सारी थकान के बाद
आई हैं सुकून के पल देने-
एक जंग जारी है
मेरे दिल में मोहब्बत भारी है
तुमसे दुश्मनी खूब शिकायतें ढेर सारी हैं
चूम लूं तुझे पर हम मिले भी पहली बारी हैं
बातें कुछ हूवी ही नही अब जाने कि तयारी है
मेरे दिल में आग खूब लगती पर तेरे होने से बर्फ बारी है
अंदर ही अंदर एक जंग नही लाखों जंग करोड़ों ज़िम्मेदारी हैं-