Awanish Upadhyay   (©अवनीश)
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Joined 1 July 2017


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Joined 1 July 2017
25 MAR AT 17:05

फीके रंग और चटक हो जाएँ इस होली में
उतरे हुए हर दिलों में ये मन घुल कर
इक महक बिखेरे इस होली में
ऐ फाग ज़रा इक राग सुनाकर
चेहरे खिला दे इस होली में!

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3 MAY 2023 AT 17:55

हौंसले किसी के खरीदे नही जाते
ये गुमान किस बात का है खुदगर्जो
तुम्हारी मीनारों की ईंट भी
किसी नेकदिल के जमीर पर टिकी है!

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25 APR 2023 AT 19:55

किसी पार्क में बैठकर लिखना
यूँ इतना भी आसान नहीं है
बहुत कुछ सोचने पर इक कोशिश होती है
गुजरने वाले की आहट लिखो
मद्धिम चलती हुई हवा का एहसास
बच्चों के चहकती आवाज़
रास्ते पर जा रही गाडी-मोटर की सरपट
ढलती हुई इक शाम
चिड़ियों का अपने घोंसले पर लौटना
दूर आकाश देखकर शून्य सा मन
या फिर मुस्कुराते हुए उतरते चाँद
जो कुछ ही क्षण बाद
सितारों से भरी चाँदनी रात होने को है
और बहुत कुछ है!!
इस खयाल को यही छोड़ देते है
आओ चलते है बातों के शहर!!

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22 APR 2023 AT 11:28

ज़रा अपना भी गिरेबान झाँक कर देख लो
कहीं छींटे उड़ाने के दौर आये तो
खुद को जगह हो महफूज़ करने के लिए!

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22 APR 2023 AT 0:08

जब नज़र की चाहत हो कि
नजारा तस्वीर बन
शब्दों में ढल जाए।
खुशी हो या गम
बनकर शब्दों के आँसू
पन्नो पर छलक जाए।
यादें हमारी हो या तुम्हारी
कहे कोई किस्सा और कहानी
मैं गाता हूँ गीत, अपनी जुबानी!

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6 APR 2023 AT 1:35

इस रात की है, अपनी पहल
कि कोई हल मिल जाए
काश वो गुज़रे हुए कल
नयी सुबह की धूप हो जाए!

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2 APR 2023 AT 2:14

कहीं पे हार,कहीं पे जीत होती है
उनके मायने बदल जाते हैं
जब वो सुकून देने लगे!
बाजी और भी दिलचस्प होती है,
जब रानी,बादशाह और जोकर
दाँव पे लगे हो!

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7 MAR 2023 AT 23:38

वादे और इरादे सब खयाली है
ऐ-जिंदगी किस गुमान पर है
ये किरदार भी इक दिन
किसी बंद किताब में
कहानी भर रह जायेंगे!

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18 FEB 2023 AT 14:11

क्षण-क्षण में लागे एक शंकर है
नीले कंठ में भरा गरल भयंकर है
मग्न हुए नाचन लागे वही दिगंबर है
कण-कण भी कहने लगा है
कंकर-कंकर में शिव शंकर है!

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17 FEB 2023 AT 3:43

कोई दिन भर की थकान लिए
नींद की आगोश में रहता है
कोई है जो रतजगा कर
नींद को परेशान करता है!
यही है अपना सफर, अपनी मंजिल
सो जाए अक्सर या बेखबर हो रात से
लोग कहते बेखबर है या गाफिल।

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