Vidya Shandilya  
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Joined 12 August 2019


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29 JAN AT 10:32

ज़िंदगी ने अपनी टोकरी में
रखें हैं कुछ लम्हें, कुछ यादें
कुछ ताजे कुछ बासे..!!

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26 JAN AT 13:04

रूख मोड़ देती है
सत्ता का, शक्ति का,
भक्ति का..!!

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26 JAN AT 12:55

आया है नवयुग अब हर हिंदू जागेगा
राम के साए में अब भगवा लहराएगा

रचेंगे संविधान नया हर नागरिक अधिकार पाएगा
गढ़ेंगे नया भारत अब,विश्व में तिरंगा छाएगा ।

गढ़ कर नया तंत्र अब, हर गण,गणतंत्र दिवस मनाएगा
हिंदू हैं हम वतन हमारा हिन्दुस्तान कहलाएगा..।

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16 JAN AT 23:25

मची हुई है रेलम पेल
हो रही धक्का मुक्की
ऐसे में क्या करें हम
तुम्हीं बताओ कन्हैया जी..!!

आया है जन्मदिन
हमारी प्यारी दीदी का
क्या कहें अब हम
नहीं बचा कुछ शेष कहने का..!!



बंधों, छंदों से है लेखनी उनकी
बहती जिनसे रस की सरिता,
मधु सी है बोली उनकी..
बसती हृदय में सदा करुणा,
कृष्ण बसाए हृदय सदा
ममता छलकती जिनकी यमुना..!!

~विद्या शांडिल्य

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1 JAN AT 18:34

वह जो होठों के किनारे पर
राइट साइड में,
अपनी मुस्कुराहट को,
दबा जाते हो ना तुम..!
सच,..
बहुत प्यार आता है तुम पर..!!

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14 DEC 2023 AT 12:22

हमारे कदमों के निशां रह जायेंगे
वक्त की रेत पर..
हर पहर, हर घड़ी की
बात वो प्यार की, बात वो रात की
भोर की और स्याह रात की
तेरे साथ की, तेरे बाद की
रह जायेगी हर वो बात
एक सुनहरे ख़्वाब की
वक्त की रेत पर कदमों के निशां
रह जायेंगे...!!
(बॉटम अप पोयम)

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10 DEC 2023 AT 15:33

करे परकम्मा गोवर्धन की
दिन देखे न रात..
एसो हमारो सखा हैं
ब्रज है जिनको धाम
सगरे भय कृष्ण भक्त
ये लाला के द्वार
ये हमारो मित्र अनोखे
संसार के मोह सकल दियो त्याग !!

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18 NOV 2023 AT 21:33

ना कीचड़ ऐसे उछालों यारों...!!

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8 NOV 2023 AT 22:49

....

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3 NOV 2023 AT 12:41

कहानियांँ ख़त्म नहीं होती
कहानियांँ दोहराई जाती हैं,
किरदार पुनः जीवंत होते हैं,
नए नाम से , नई पहचान से,
नए काल खंड में,नए स्थान पर,
मौसमों के बहार और पतझड़ की तरह,
फिर से कोई कान्हा,फिर से कोई राधा,
फिर एक रामायण,फिर एक महाभारत..!
जी हांँ..! कहानियांँ ख़त्म नहीं होती..!
बस बदलता है व्यक्ति ,परिवेश,भेष..!!

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