हमारे कदमों के निशां रह जायेंगे वक्त की रेत पर.. हर पहर, हर घड़ी की बात वो प्यार की, बात वो रात की भोर की और स्याह रात की तेरे साथ की, तेरे बाद की रह जायेगी हर वो बात एक सुनहरे ख़्वाब की वक्त की रेत पर कदमों के निशां रह जायेंगे...!! (बॉटम अप पोयम)
करे परकम्मा गोवर्धन की दिन देखे न रात.. एसो हमारो सखा हैं ब्रज है जिनको धाम सगरे भय कृष्ण भक्त ये लाला के द्वार ये हमारो मित्र अनोखे संसार के मोह सकल दियो त्याग !!
कहानियांँ ख़त्म नहीं होती कहानियांँ दोहराई जाती हैं, किरदार पुनः जीवंत होते हैं, नए नाम से , नई पहचान से, नए काल खंड में,नए स्थान पर, मौसमों के बहार और पतझड़ की तरह, फिर से कोई कान्हा,फिर से कोई राधा, फिर एक रामायण,फिर एक महाभारत..! जी हांँ..! कहानियांँ ख़त्म नहीं होती..! बस बदलता है व्यक्ति ,परिवेश,भेष..!!