थोड़ा कम थका ऐ ज़िंदगी
मजबूर हूँ, मजदूर नहीं!-
आ ज़िन्दगी तुझे थोड़ा आराम करा दूँ,
तू थक गई होगी उम्मीदों का बोझ उठाते उठाते!
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रुदन में कितना उल्लास, कितनी शांति, कितना बल है। जो कभी एकांत में बैठकर, किसी की स्मृति में, किसी के वियोग में, सिसक-सिसक और बिलख-बिलख नहीं रोया, वह जीवन के ऐसे सुख से वंचित है, जिस पर सैकड़ों हँसिया न्योछावर हैं। उस मीठी वेदना का आनंद उन्हीं से पूछो, जिन्होंने यह सौभाग्य प्राप्त किया है।
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समझ में नही आता की
सुबह से लेकर शाम तक तो
लोगो की तरह ही
वो सूरज काम ही तो करता है
तो घर लौटते वक्त
उसके चेहरे पर थकान के बदले
सुकून किस बात का होता है ?-
किनारा मौत का
थक गया है,
साँसो को थामे..
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अब साँसो ने
किनारे से किनारे का,
मन बना लिया है..
!!-
हम उगते हुए सूरज को प्रणाम करते हैं,
पर दिन भर कि थकान तो डूबता सूरज
ले जाता है.!!!!
:--स्तुति-
★ खाली समय में जो YQ पर चला आता हूँ, इस
आदत को..
★ उल्टा सीधा, जो मन आता लिख देता हूँ, इस आदत
को..
★ साँसें लेना एक बहोत बड़ा काम है, कभी कभी
थक जाता हूँ मैं सबसे, तो ये आदत भी....-
थक गया हूँ शब्दों से खेलते खेलते
अब शब्द मुझसे खेला करते हैं-