आज झूमने का मन है मेरा, क्योंकि मौसम है मस्ताना।
यूँ मौसम का सुहावना, उसने तुषार के कण मेरे चेहरे पर पढ़ जाना।
ये मौसम की बारिश में खुद को भिगो लूं।
आज मौका मिला है, इसका फ़ायदा उठा लूं।
इतना खुशी हो रही इस बारिश में भीगने से।
तन मन को खुशी हो रही तुषार के कण पड़ने से।
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मोहब्बत में आशिक मरीज़ होता है,
जिसके पास अत्यधिक धन है वो रईस होता है,
मरते तो बहुत से लोग है इस दुनिया में ,
मगर शहादत मिलती है उन्हें जिनका नसीब होता है।-
ख्वाहिशें मेरी ओस सी
इश्क़ तेरा बना तुषार
चाहत उसमें सूख रही
जिंदगी हुई लकवा मार
बारिश की फुहार बन
जिंदगी को लगाओ पार-
हल्की हल्की बारिश के तुषार
मन को भिगोकर करे चमत्कार
प्रेमकी अभिलाषा अपरंपार
तन्हा राते ना कटे अबकी बार
छू कर छेड़ दे तू दिल के तार
भूलेंगे ना ये राते ओ मेरे यार
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मिहिका कण उन्मुक्त है वसुधा
धरणी पीयूष उपयुक्त है वहुधा
तुहिन कणों सा हृदय को मोहा
तुषार कल्प के बहुरुप है सोहा-
पुष्प की पंखुड़ियों पर प्रात प्रथम की ओस
इधर उधर तक ढुलकती हुई चंचल मदहोश
भंवरा दृग सुमन भार पुलकित हृदय बेहोश
कण कण जीवन्त पीयूष प्रसाद प्रवाह तोष-
तुषार में भींग रही है जवानी
गुल सा चमक रही है जवानी
ये बातें कल रात की है
सुबह तो लग रही है सुहानी
बुझने लगी है अगन अब तन की
ठण्डी पड़ने लगी है जवानी-
याद तेरी आई मैं बेहाल हो गया,
"तुषार" तुझे गए फिर एक साल हो गया।
कभी बात बात में तेरा वो हंस जाना,
तो कभी छोटी छोटी बातो पे रूठ जाना।
वो प्यारा सा गुस्सा, वो गुमसुम हो जाना,
फिर हमारा आकर वो तुमको मनाना।
करके शैतानिया हमारी डांट खाना
कभी बात सारी हमारी मान जाना।
ये ढेर सारी यादें, तूं हमको यू देकर
गया तूं कहा ये सवाल हो गया।
गूंजती है आज भी हंसी तेरी हवाओ में
तुझ बिन सुना तेरा ननिहाल हो गया।-
बारिश में मौर
तुषार में नारी
जब अपना रंग दिखाती हैं
तो मधोश कर देती है।
कुदरत का ये आश्चर्य दृश्य भी
इत्तिफ़ाक़ से कम नहीं।-