ट्यूशन में सबसे पहले पहुँच जाता था तांकि जहां तुम बैठती हो साथ में बैठ सकूँ....
तुम्हें लगता था कि पढ़ने वाला बच्चा है, पर तुम्हें कहाँ मालूम था कि बगल में बैठा तुम्हारी आँखें, कान, नाक और वो तुम्हारे साँवले से गालों का उभार पढ़ता था...
तुम ज़रा सा पलटती सिट्टी बिट्टी गुम हो जाती मेरी और बचने के लिए सवाल पूछ लेता सर से..तुमसे बचता उधर फंस जाता..
और जब छुट्टी होती, थोड़ा अँधेरा हो चुका होता था तो जानबूझ कर तुम्हारी लेडी बर्ड के कुछ दूर पीछे अपनी एटलस लगा देता..और तुम जैसे ही घर पहुंचने वाली होती मैं मुड़ जाता..
तुम्हें लगता है तुम्हारा पीछा करता था..मानता हूँ तुम्हे देख कर ज़रा सा शक्ति कपूर उमड़ आता था मन में, पर तुम्हारी सुरक्षा सबसे पहले थी, इसलिए तुम्हें अंजान रखते हुए तुम्हें घर छोड़ कर आता था..
आज भी सोचता हूं तुम्हें तुम ठीक से घर पहुँचती होगी या नहीं.. साथ तो नही हो सकता पर रात को ख़्वाबों में ज़रूर तुम्हें सुला कर आता हूँ..कुछ देर तुम्हें देखता भी हूँ सोते हुए और उन्हीं गलियों में पहुँच जाता हूँ..
ज़रा देखना मेरी एटलस खड़ी है कि नहीं वहां..दिखे तो बताना तुम्हें घर छोड़कर आना है...!!-
वही गलती थी वही भूल थी मेरी
वही कांटा और वही फूल थी मेरी
तालीम मिल रही थी सिर्फ मुहब्बत की
वही ट्यूशन और वही स्कूल थी मेरी-
रंग हर एक बशर आज बदल सकता है
गिरगिटों! ठीक न तुमने किया ट्यूशन देकर-
तुम्हें याद है
मैं अपनी बालकनी में खड़ा
दूर से तुम्हें अक्सर देखा करता था
ओ शाम जब तुम अपने दोस्तों के साथ
कालोनी में पार्क के चारों तरफ बने रास्ते
पर घूमा करती थी
और जब...
कभी तुम्हारी निगाहें मेरी निगाहों से मिलती थीं
तोह निगाहें झुका कर तुम मुस्कुरा दिया करती थी
ट्यूशन में बैठे किताबी सवालों के अलावा
तुम चुपके से नज़रें उठा कर मुझे देख लिया करती थी
याद है मुझे.….. ओ ईद का दिन था...
तुम सफेद सूट में उन्हीं रास्तों पर
अपने सहेलियों के साथ घूम रही थी
मैं अपनी बालकनी में खड़ा तुम्हें देख रहा था
तुम्हारी निगाहें बड़ी नज़ाकत उठीं और
मेरी निगाहों से मिलीं
फिर निगाहों-निगाहों में ही मुबारक-ऐ-ईद हो गई
था कुछ और भी उन मासूम निगाहों में....
जो तुम मुझसे ..अब तक ना कह पाई।-
Batch तो कल भी चलता था और आज भी चल रहा है क्योंकि हम बेरोजगारों से भी किसी का रोजगार चल रहा है।
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प्राइवेट स्कूल अब विद्यालय नहीं मॉल हो गए हैं वहाँ किताबें बिकती हैं, कपड़े बिकते हैं,जूते बिकते हैं मोजे बिकते हैं,ट्यूशन के मास्टर बिकते हैं,
कुछ स्कूलों में धर्म भी बिकता है और सबसे अंत में शिक्षा बिकती है।
और ये सारे सामान लागत मूल्य से दस गुने पर बेचे जाते हैं।-