वो गुनगुनाए नाम मेरा किसी तराने से,
मेरे भी लब मुस्कुराए इसी बहाने से।
पूछोगे पता मिले चाहे ना मिले तुम्हें,
किसी कूचे में मिलोगे इसी दीवाने से।
मैंने कभी छुआभर नहीं था प्याला,
निकलता देखोगे किसी मयख़ाने से।
मिलाओ गला मिल ना सको जैसे,
हिज़्र हुआ फिर वही उसी ठिकाने से।
मैं चाहता हूं, हो वस्ल फिर एक दिन,
और वो मिलने आए उसी बहाने से।
- सागर बागुल
( यादों की गुल्लक से )
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देखना धुआॅं-धुआॅं हो जाऊंगा मैं।
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इत्मीनान से निहारा गया मुझे,
उसके नाम से पुकारा गया मुझे।
चंद महीने गुज़रे होंगे बहरहाल,
सलीके से इख़्तियारा गया मुझे।
फिर इक रकीब के सहारे से,
अपने चश्म से उतारा गया मुझे।
इस इक बात का ख़्याल रखा,
आहिस्ता आहिस्ता मारा गया मुझे।
- सागर बागुल
( यादों की गुल्लक से )
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तीन शेर।
इक तमाशे से निकल कर दूजा हो गया हूं,
मैं जीते जी अब यारों बेजां हो गया हूं।१।
इक साथी के तालाश की थकन है,
तन्हाईयां ही मेरे दिल की जतन है।२।
करार फासला रखने का कबूल है,
पहले इश्क में जीते रहने का फिजूल है।३।
- सागर बागुल
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तुमसे बात करने का कोई ज़रिया ना रहा,
मैं सागर होकर भी कोई दरिया ना रहा।
- सागर बागुल
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कितने दायरों में बांध रखा हैं मुझे,
मेरे करीब होकर भी तुम पास नही।
- सागर बागुल
( यादों की गुल्लक से )
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बहुत महफूज़ रखा अब तक ख़ुद को,
वहीं चोट , वहीं ज़ख्म कब तक सहेंगे।
जब उजाड़ दिया हो एक बाग पूरा,
वो महकतें फूल कब तक खिलेंगे।
तस्वीरें जला दी थी हिज़्र वाले दिन,
आख़िर आंखों से आंसू कब तक बहेंगे।
मुकम्मल कर दे ख़ुदा मेरी दुआओं को,
तन्हा दिल को अपने कब तक संवारेंगे।
इंतज़ार है कोई आकर संभाले सागर को,
तमाम गमों को अकेले कब तक संभालेंगे।
- सागर बागुल
( यादों की गुल्लक से )
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बिछड़ कर तुझसे, तेरा रास्ता देख रहे हैं हम।
सहमे से तन्हा,दिल को जलता देख रहे हैं हम।
तेरी यादों में इस तरह कैद कर लिया ख़ुद को,
मुस्कुराते हुए भी, ख़ुद को रोता देख रहे हैं हम।
- सागर बागुल
( यादों की गुल्लक से )-
अंधेरों में राह भटकना जरूरी तो नहीं,
चांद की रोशनी को सहारा बनाया जा सकता है।
लाख हो चाहे गहराई सागर की तो क्या?
आरज़ू ए जोश से कश्ती को किनारा दिया जा सकता है।
- सागर बागुल
( यादों की गुल्लक से )-
यारो बना लूंगा मैं ख़ुद को अब तुम्हारे हिसाब से,
इक दिन निकलूंगा किसी शायर की किताब से।
- सागर बागुल-
मैं अपनी मुकम्मल दास्तां की दहलीज पर था,
उसकी ख़ामोशी का दरबान मेरा इश्क़ मार गया।
- सागर बागुल
( यादों की गुल्लक से )
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