हर तरफ हाहाकार रे जोगी
पिंजरे में तेरा संसार रे जोगी
भूख का कर व्यपार रे जोगी
फिर न लगेगी प्यास रे जोगी
चल जा तू वनवास रे जोगी
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Anjani kr Mishra
(Anjani Kr Mishra)
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कभी पानी की तरह, कभी ज़हर की तरह;
कभी गुस्से के दो घूँट, कभी जाम के दो बूँद,
पी लेंगे ज़िन्द... read more
कभी गुस्से के दो घूँट, कभी जाम के दो बूँद,
पी लेंगे ज़िन्द... read more
Joined 27 May 2018
20 APR 2020 AT 0:34
20 APR 2020 AT 0:12
मेरे अल्फाज़ जरूर
बदल गये होंगे
पर तेरा इंतजार
आज भी मेरी पलके
वैसे ही करती है-
12 APR 2020 AT 23:16
न क़रीब आ न तो दूर जा ये जो फ़ासला है ये ठीक है
न गुज़र हदों से न हद बता यही दायरा है ये ठीक है-
8 APR 2020 AT 22:43
23 FEB 2020 AT 21:29
ये हुनर है साहब, हुस्न नही हसीना की जिसे चारदीवारी में क़ैद कर ले कोई।
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12 AUG 2019 AT 11:31
Dukh har saans saans hai mera
Dukh hi dukh ki dawa bhi hai mera
Dukh ki sukh se dushmani dekho
Dukh hi dukh ka illaj hai mera-
26 JUN 2019 AT 5:09
दिल की चोटों ने कभी चैन
से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैंने
तुझे याद किया
इसका रोना नहीं क्यों
तुमने किया दिल बरबाद
इसका ग़म है कि बहुत देर
में बरबाद किया।-
5 JUN 2019 AT 20:41
धूप की सख़्ती तो थी लेकिन 'दोस्त'
ज़िंदगी में फिर भी था साया बहुत
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3 JUN 2019 AT 21:30
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
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