ऊपर उठने की आदत डाल लो
क्यों की
टांग खींचने वालों कि कमी नहीं है-
वो जो खुद की ज़िन्दगी में कम
और दूसरों की ज़िन्दगी मैं
ज्यादा टांग अडा़ते है-
समाज है कुछ तो कहेंगे
आगे बढ़ने का हल्ला कर पीछे टांग खिचेंगे
तारीफ की पुल बांधकर कभी खाई में धकलेंगे
कभी हिम्मत को डराकर रास्ता आपका रोकेंगे
समाज है कुछ तो लोग ऐसा ही करेंगे...-
अजीब ज़माना है यारो
हर कोई एक दूसरे की
टाँग खींचने में लगा है।-
ईश्वर ने तो टांगें दे रखीं है देख,
आदमी को
चलने के लिए,
आगे बढ़ने के लिए,
आदमी इस्तेमाल मगर
अपनी टांगों का कर रहा है,
औरों के मामले में
टांग अड़ाने के लिए,
और टांग में टांग अड़ाने के लिए..✍️आनन्द"
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एक टांग को मेरी कुछ होता है जा रहा,
कही बन के मेरा काल कर्मा तो नहीं आ रहा।-
।। संसार ।।
रहते हैं कुछ लोग जहां में,
टांग अड़ाना जिन्हें पसन्द है।
हरी-भरी चढ़ती बेला को
धसलाना जिनकी फितरत है।
उगते हैं मशरूम की भांति,
रिश्ते-नातेदारों में
पूरा सुख उनका तब होता,
अपकर्ष यदि निजजन का होता।।
ये नैया में छिद्र हैं भैया,
प्रत्यक्ष हितैषी बनते भैया,
घात करत हैं पीछे भैया,
भगवान् बचाए इनसे भैया।।-
हमे फुर्सत नहीं खुद के कारनामे से
एक वो है हर वक्त दूसरे की टांग खींचते हैं-