बेखौफ सोए रहना तुम
मेरे भरोसे पे..
मैं आते जाते झांक जाता हूं
तुम्हें उस झरोखे से-
दिल की किताब में महफूज़ रखे थे
हमने यू अल्फ़ाज़ के फूल
हवा का हल्का सा झोका क्या लगा
पन्ने बहक गए और महक गए
हमारे अल्फ़ाज़ो के फूल-
मन पांगले पांगले
नभी आकाशी उडाले,
वाऱ्याच्या वेगा संगे
सैरावैरा ते धावले...
मन खेळले खेळले
उंच उंच झोका,
झाडावरच्या पानाफुलांना
स्पर्श करण्यासाठी
हवा होता मोका...
मन धावले धावले
पिकलेल्या पाना मागे
रंग त्याचा तो निराळा
साठवला मना मधे...-
तेरी यादों की पुड़िया को मैं रोज बांध कर रखती हूं।
ना जाने हवा का झोंका ये रोज कहां से आता है।
खोलकर तेरी यादों की पुड़िया को सारे घर में बिखरा जाता है।
तब महक उठता है घर मेरा तेरी यादों की खुशबू लेकर।
हर कोना कुछ यह कहता है हर दीवार पर यादें सजती हैं।
खिल उठती हूं मैं तब किरणों सी और फिर फूलों सी महकती हूं।
तेरी यादों को मैं फिर से उस पुड़िया में बंद कर लेती हूं।
और करती हूं फिर इंतजार उस आने वाले हवा के झोंका का।
जो फिर तेरी यादों को सारे घर में बिखरा जाएगा।-
कहीं से ठंडी सी हवा का झोका जो तन को छू गया मेरे
कुछ तो दे गया संदेशा तेरा ,,मेरे आस पास होने का।।-
झाडाच्या फांदीवर झुलतो..
वाऱ्याशी हितगुज करून
निळ्या आकाशाला स्पर्शतो..
झोका होतो खाली,वर
निसर्ग डोलतो सोबतीला..
जणू सारा हा आसमंत
आला माझ्या भेटीला..
चला चला गो सखीनो
एकमेकांस झोका देऊ..
पुन्हा आठवूनी भूतकाळ
बालपणीच्या विश्वात जाऊ..-
बड़ा नाज़ है तुम्हें अपनी महकती खुशबू पे
याद रखना
हवा का झोका हूँ मैं मेरे बिना तुम कुछ नहीं-
ये नोक-झोक के झोंके तो आते ही रहेगें
पर हम आपसे मोहब्बत निभाते ही रहेंगे
इस कदर जोड़ ली हैं आपसे अपनी रूह
कि हम तो आपके हैं और आपके ही रहेंगे-