एक मुक्तक
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शताधिक चन्द्रमाओं को करे लज्जित कलाओं से
तुम्हारे केश ये काले घने........ काली घटाओं-से
तुम्हारे सिक्त अधरों पर हृदय-सम तीव्र कम्पन है
मनोहर है लटों का यूँ...... झगड़ना भी हवाओं से-
अक्सर हम दोनों के झगड़े हो जाए करते हैं!😩
और वजह केवल मेरे जज़्बात ही होती है!💔-
उसने पढ़ा है बेनाम को, मगर शादी के बाद
ग़म है कि शौहर से उसका झगड़ा चल रहा है-
बाहर पानी और...
भीतर ही भीतर बरस रही है— वह
झाडू बुहारने के
मंद मंद स्वर आ रहे हैं
खाना छौंकने-बघारने की आवाज आ रही है
कूकर का शोर हो रहा है...
नल से पानी गिरने
कपड़े पछीटने
बर्तन मँजने-धुलने की ध्वनि से
घर में कोलाहल मचा हुआ है...
बस वही चुप है
मुस्कुरायी तक नही आज
नाराज है मुझसे
इससे अच्छा तो झगड़ ही लेती...।
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करके झगड़ा हर किसी से आज अनजाने में ही
इस भरी दुनिया में हमने ख़ुद को तन्हा कर लिया।।-
उनसे हर रोज लड़ने के बाद
उनकी खामोशी पढ़ने के बाद
सोचा अब न रूठूँगी उनसे कभी
पर क्या करूँ दिल को चैन मिलता है
सिर्फ उनसे झगड़ने के बाद-
पहले कितना भी झगड़ लें
पर हम बात जरूर करते थे,
जाने क्या हो गया है अब
के झगड़ा भी नहीं हुआ
और बात भी बंद है,
शायद रिश्तों में दूरियां इसी को कहते हैं....
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एक छोटी सी लव स्टोरी
दो राही,
रास्ता एक,
मंज़िल एक,
साथ मिले,
नज़रे मिली,
कुछ दूर साथ चले,
थोड़ी देर बाद
बात हुई,
जान पहचान बनी,
दिल मिले,
साथ जीने मरने की कसमे खाई,
कुछ दूर और चले,
थोड़ा झगड़ा हुआ,
बात बंद हुई,
थोड़ी देर बाद
याद आई,
फिर बात हुई,
गिले शिकवे मिटाए,
मंज़िल तक पहुँचे
जीवन साथी बनकर.....!-
When my sister finishes all her daily data and starts touching my phone again and again for Hotspot.
My Retroaction:-