रात के अंधेरों में,
अपने जुगनू ले कर चलें।
आसमान के तारों में,
अपने जुगनू ले कर चलें।
महफ़िल में ग़ैरों के,
अपने जुगनू ले कर चलें।
निकलें अनन्त यात्रा पे,
अपने जुगनू ले कर चलें।
बनने को मर्ज़ी का मालिक,
अपने जुगनू ले कर चलें।
निकलें जब भी घर से,
अपने जुगनू ले कर चलें।
-राकेश"साफिर"✍️
-
ख्वाबों के जुगनू मंज़िल को रोशन करने के लिए तैयार हैं,
मेरा जुनून भी हर मुश्किल को मात देने के लिए बेकरार है।-
दिल की ताक़ पे चराग जलाने आऊंगा,
मैं तुमको फिर एहसास दिलाने आऊंगा!
मेरे इश्क की इंतेहा तुम सह ना पाओगी,
अपने अश्कों से तुमको रुलाने आऊंगा!
सुबह को आज ये सोच के निकला हूँ मैं,
उम्मीद के जुगनू लिये शाम घर आऊँगा!
ख़्वाहिश मुझे तेरे दिल आशना बनाने का,
वहीँ पे एक दिन ता-उम्र बसने आऊंगा!
मेरे तुम से कैसे कैसे रिश्ते हैं, जान लेना,
तुमको एक बार फिर से बताने आऊंगा!
बुझ भी जायेंगी ये सांसें कभी न कभी,
उससे पहले रोज़ दिल धड़काने आऊंगा!
जीतने दूँगा तुम्हें हर बाज़ी जो सोची होगी,
फिर मैं अपनी हार का जश्न मनाने आऊंगा! _Mr Kashish-
क्या है इन जुगनुओं का
रहस्य ?
नहीं जानता
नहीं जानना चाहता
मुझे अच्छा लगता है
कि कोई जिस्म
रोशनी ढोता हो
और अन्धेरे में
चिनगी बना घूमता हो...
ज्ञानेंद्रपति-
वाकिफ कर देना हमें......,
हो खौफ! अगर, तीरगी से तुम्हें,
दे देंगे, जुगनूओं की रोशनी, तौफे में तुम्हें।।-
रौशनी से अंधियारे अच्छे हैं
यह जुगनू... बेसहारे अच्छे हैं,
रंग-विरंगे से रंगविहीन हवा में
....उड़ते यह ग़ुब्बारे अच्छे हैं,
तुम्हें उस पार की कश्ती मुबारक़
हम इस पार... किनारे अच्छे हैं,
कुछ भी नहीं है प्रेम में पर्याप्त
सो.. हम यूँ ही बिन तुम्हारे अच्छे हैं,
सुख अविरल हो या दुःख प्रतिपल
ईश्वर के फ़ैसले... सारे अच्छे हैं..!!-
साँप !
तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना
भी तुम्हें नहीं आया।
एक बात पूछूँ--(उत्तर दोगे?)
तब कैसे सीखा डँसना--
विष कहाँ पाया?-
यूँ अकेले चाँद तारों में मशग़ूल मत रहा करो जानाँ
है एक जुगनू जो तेरी इस बात से जलता है रात-भर-
कुछ जुगनू शाम से चुराकर तकिए के नीचे छिपा रखा हूँ,
कोई देखे तो पता चले हमारे सिर के नीचे एक आसमान भी है।
केवल जुगनू ही नहीं चमकते तारों की तरह मेरे आसमान में,
वो जो ख्वाब में आता है न रोज तकिए तले वो चाँद भी है।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)-
खुद को इस कदर तन्हा कर रखा हैं
साये को भी अपने अँधेरा कर रखा है
जो-जो भी था चाहने वाला मुझको
सब को खुद से जुदा कर रखा हैं
कमी नही होती महसूस मेरी अब किसी को भी
खुद को इस मुकाम पर ला रखा है
तन्हा देख किसी को जो अपनी तन्हाई मिटाते है
ऐसे लोगों से अब मैंने किनारा कर रखा है
जुगनुओं को पकड़ रौशनाई थी राहें जिसकी
उसी ने जिंदगी में मेरी अँधेरा कर रखा हैं
खुशी इसलिए भी नही माँगता मैं ख़ुदा अब कोई
कि उसके बिना किसी ख़ुशी में अब क्या रखा हैं-