QUOTES ON #जीवदया

#जीवदया quotes

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17 MAY 2021 AT 18:00


किसी भी क्षण
फँस जाऊँगी मैं— जाल में

बटुली भर भात
और मैं उनके मुँह का निवाला

कहाँ तक पहुॅंचा होगा
मेरा— यकृत-फेफड़ा-श्वासनली
कहना मुश्किल है...

किन दाॅंतों के बीच
अटका पड़ा होगा मेरा हृदय
नहीं मालूम...

और...
इस पर तो
कविताएँ भी चुप हैं...।


कविता ✍🏻




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7 APR 2022 AT 11:51

....

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4 APR 2022 AT 20:17

आइये अबोल जीवों के लिए निष्काम कर्म करें

मित्रो गर्मियां आ रही है कई बेजुबाँ पक्षी इस भीषण गर्मी से काल कवलित हो जाते है।गर्मी आते ही सोशेल मीडिया पर छत या बालकनी में जलपात्र रखने की अपील छा जाती है । हम इस अपील के साथ साथ पक्षी जल पात्र भी रखे तो सोने पे सुहागा होगा।
पिछले 6 वर्षों से आप सभी मित्रो के सहयोग से प्रति वर्ष 2000 से अधिक जल पात्रों का वितरण जाता है ,इस वर्ष भी घर घर जलपात्रों का वितरण करने का लक्ष्य रखा है ताकि इस भीषण गर्मी में बेजुबाँ पक्षियों को राहत मिल सके ओर जीवदया व जीव रक्षा का पुण्य सर्जन हो सके।
आइये जीवदया के इस पुण्य कार्य मे सहयोगी बने।एक जलपात्र का मूल्य 30 रु है आप जितने चाहे उतने जलपात्र की राशि फॉउंडेशन को भेंट कर सकते है।

निष्कामकर्मसेवाफाउंडेशन
Paytm. 9374712860 , 9825428841

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1 JUN 2021 AT 11:33

सत्यानाश हो इस विज्ञान का
जिसने सिखाया इस इंसान को,
अपना आहार बनाना,
भगवान के बनाए एक जीव को।


क्यों न शुरू कर दें, खाना एक दूसरे को
जीव वो भी, जीव हम भी
शायद आज इन्सान इन्सान को खा रहा है
पी रहा है लहू भी।

कहती है-
प्रोटीन इसमें ज्यादा,इसमें कम
शायद ईश्वर से विश्वास ही उठ गया
जो रख दिया खाने को
रहा नहीं ज़रा रहम।

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13 DEC 2020 AT 13:30

यदि आपकी थाली में, मांस मौजूद है
तो समझ जाइये, आपने अगला भव बिगाड़ लिया है

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1 AUG 2020 AT 0:02

"बह बेजुबान जानवर🦄 ढोर नही, बल्कि ढोर तो बह इन्सान है़,
जो खुदकी जु़बान 👅 कॆ लिये उन बेजुबान🦄 को मारा करता ह!"

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मूक जीवों का दर्द समझने, दिल की जरूरत है
ख्याल आये जब मांस खाने का, अशुभ मुहूरत है

जख़्म और मरने की पीड़ा, सबको होती है
सबकी जान को जान समझने, दिल की जरुरत है

अपने या अपनो के तन का, इक कतरा काटो
फिर देखें तुम्हे मांस खाने की, कितनी कूबत है

राम कृष्ण महावीर बुद्ध के, किसके वंशज हो
बहसी जानवर या राक्षस सी, निर्दयी मूरत है

मांसाहारी अपने पक्ष में, तर्क कुतर्क रखें
उनसे पूछो मानवता की, यही क्या सूरत है

ईश्वर की हम श्रेष्ठ कृति हैं, ये दूषित न करो
मार के खाना स्वाद बनाना, कैसी हुकूमत है

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प्राणान् विना जीवनं भोः
कथं जीवन्ति प्राणिनः ?
मदान्धः सम्प्रतिः सम्यक्
विजानाति प्रपीडितः ॥

प्राणवायु के विना, कैसे प्राणी जीवन जीते हैं ?
मदान्ध व्यक्ति महामारी में पीडित अब अच्छी तरह जान रहा है ।

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6 AUG AT 0:39

जगत के सभी जीवों पर दया करना ही
सच्ची मानवता की पहचान है,
जो प्राणी मात्र में परमात्मा को देखे,वही
करुणा का सच्चा साधक है,
जीव दया ना केवल धर्म है,बल्कि एक
संवेदनशील जीवन का प्रतीक भी है,
जहाँ दया है,वहाँ अहिंसा है,और जहाँ
अहिंसा है,वहाँ ही ईश्वर का वास है.

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12 AUG AT 19:51

एक तरफ़ मासूम पशु-पक्षियों पर अत्याचार,
दूसरी तरफ़ पूजा-पाठ का दिखावटी व्यवहार,
भक्ति का दीप,पाखंड से कभी नहीं जलता,
वो तो केवल करुणा और दया के तेल से पलता.

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