राकेश जैन   (राकेश जैन)
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अपने बारे में इतनी ही है कविता, मैं हूँ वो जो उदित नहीं हुई सविता ।
Joined 29 June 2019


अपने बारे में इतनी ही है कविता, मैं हूँ वो जो उदित नहीं हुई सविता ।
Joined 29 June 2019

अहसास से भरा है मन,
मगर अहसास खालीपन का है।
तमाम यादें हैं गुजर करने को,
पर सवाल रीतेपन का है।

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अर्थ से जो हीन है, कमजोर वो किंचित नहीं।
विपन्न जो विचार से, जग में बस निर्धन वही।।

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ज़रूरत और ख्वाहिश में फरक ही क्या?
ग़रीब चाहता है बस, बसर हो जाए।

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देवदार तकते रहे, मृत्यु का परिहास।
हरियाली चारों तरफ, सहमी थी चुपचाप।।

वादी में गोली चला, ज़रा न आयी लाज।
असहायों को झुका, कौन बना सज्जाद?

नरभव ले दानव हुये, जिनको नहीं विवेक।
कितने हिंदू मरे शस्त्र से, है हिंदू सारा देश।।

एक मौत एक काल है, कई मौतें विकराल।
ग़लती की इतनी बड़ी, लिखा स्वयं का काल।।

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साँझ में सुंदर छटा है,
नीड़ तक आते हैं पंछी।
ढलने का परिणाम दुख है
सोच कर न ग़म पिरोना।

उच्च नभ में ध्रुव सितारा
एकांत में भी है चमकता।
है अकेलेपन में दुविधा
किंचित न यह चिंता सजोना।

है निशा में चंद्र शीतल,
रवि से भी सुखद कोमल।
मद्धिम यदि प्रकाश है तो
पथभ्रम नहीं दिल में पिरोना।

उपलब्ध में ही लब्धि सुख है
रुकने में गंतव्य शामिल।
अंतस में ही अमृत भरा है
मारिचिका है जग सलोना।

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सोचो निज आतम का रूप।।
छद्म शरीरों को जब देखो।
भीतर देखो आत्म स्वरूप।।

चिंतन जब हो प्रौढ़ स्वयं का।
चेतन का दर्शन होगा तब।।
मूँद आँख जग से भीतर लख।
आतम सच है, जग है झूठ।।

भवन न सोचो, धन न सोचो।
निज राम अकिंचन कंचन सोचो।।
सब माया है जो भी दिखता है।
सोचो वो जो है निज रूप।।

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जब दर्द छुपाना आ गया
तब जीना कुछ आसान हुआ।
ज़ख्म दिखाते थे जब हम
तब नमक से ही सत्कार हुआ।

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ठिठकन है पर ठौर नहीं।
साँसों का सफर सुहाना है
रुके जहाँ बस मौत वहीं।

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क़फ़स है ये बदन, रूह तड़पती है।
ज़मानत भी नहीं, रिहाई भी नहीं है।।

हर साँस में कौन है, क़फ़स में आता-जाता।
शक्ल देखी भी नहीं, पर मनाही भी नहीं है।।

धड़कता कौन है, ये आवाज़ किसकी है।
रुकता पल भी नहीं, देता दिखाई भी नहीं है।।

#क़फ़स-क़ैद

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वस्तु एक गुण बहु धरे, बहुदृष्टि-बहूरूप।
कहीं भगिनी, कहीं भार्या, कहीं पिता ही पूत।1।

तू-तू मैं-मैं जगत में, है दृष्टि का भेद।
*अनेकांत महावीर का, जग को दे संदेश।2।

विश्व शांति का मार्ग है, महावीर का मार्ग।
अहिंसा है सर्वोपरि, यही धर्म का सार।3।

*अनेकांत- वस्तु का सापेक्षिक गुण

जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर,
वर्तमान शासन नायक ,
भगवान महावीर स्वामी के 2623 वें
जन्म कल्याणक दिवस की
अनंत शुभ कामनाएँ।*
।*अहिंसा परमो धर्म:* ।
।*जीओ और जीने दो*।

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