QUOTES ON #जयचंद

#जयचंद quotes

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18 MAR 2019 AT 20:46

दुश्मन अखाड़े में खड़ा रहते है
अपने ही जयचंद बन जाया करते है
कोशिश में हम निपटने उनके हुनर को
क्या करु दुश्मन और जयचंद एक हो जाया करते है ।
वो तराजू और बँटखरा का खेल खेलते है
वो जहर और साँप एक पिटारा में रखते है
मुरीद अपना दुश्मन सदा रहा है
मगर जयचंद का इतिहास कुछ धुँआ-ए-खाक रहा है ।
इतिहास दोहराता है हर कड़ी को
अमन के राही को हर जमाने तकलीफ हुई थी
मगर वक्त भी मित्र ठहरा निकला
जयचंद को रास ना आयी ये दिल्लगी ।




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30 MAY 2021 AT 19:57

खुशी की दस्तक से पहले ही गम के आँसू छलक गए
क्या कहें मेरे वतन में जयचंद और मीर जाफर बहुत हैं

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15 JUN 2017 AT 16:05

भारत माँ ने पाला तुम्हें समझकर फूल
तुम इतनी जल्दी कैसे गये भूल झोंक रहे क्यों उसी की आँखों में ही धूल
जिस थाली में खाते हो
क्यों उसे छेदते हो
अरे जयचंदो!!!!
ये जो तुम बिछा रहे हो शूल
एक दिन तुम्हें ही चुभेंगे ये नासूर
ज़रा याद करो अपने फ़र्ज़
कैसे चुकाओगे इस मिट्टी का कर्ज़
जागरूक करो अपना ईमान
न तोड़ो यूँ माँ का अभिमान...

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18 OCT 2019 AT 22:27


जिन बेटों ने प्राण देकर वर लिया मृत्यु को,
द्रोह कुछ लोगों का उनके बलिदानों पर भारी है,
रोडा नहीं कोई उत्थान के पथ पर देश में,
राष्ट्र की विजय पताका केवल जयचंदों से हारी है

रोती होंगी शहिदों की आत्मायें ये कैसी दुशवारी है,
जो करते है गद्दारी उनकी पुजा जारी है,
निलगगन के तारों को जो जुठलाते जाएंगे,
वो खुद को समय की तमस खोए हुए पाएंगे

जरा पुछो इतिहास की पृष्टों से तुम,
पुछो क्या होता है जब चाणक्य शीखा खुल जाती है,
पुछो विद्रोही से की अंत में अंतिम हालत क्या हो जाती है,
दुनिया से मिटते है वो और वंश की परछाई खो जाती है

-चंद्रशेखर आवटे


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3 SEP 2019 AT 22:45

जिनकी वज़ह से
दुश्मनों के हौसले बुलंद होते हैं,
वे कभी मीर जाफ़र
तो कभी जयचंद होते हैं;
उनका कोई भगवान
कोई रब नहीं होता,
आस्तीन के साँपों का
कोई मज़हब नहीं होता।

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17 FEB 2019 AT 14:13

हर देशद्रोही का यहाँ प्रतिकार होना चाहिए,
जितने यहाँ जयचंद उन पर वार होना चाहिए;
होती रही हैं आज तक सौहार्द की बातें बहुत,
अब शत्रु का रणभूमि में संहार होना चाहिए।

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24 JAN 2020 AT 22:39

वहां रहते नहीं है हम जहां जयचंद बसते हैं ,
हमारे दिल की गहराई में मुक्तक छंद बसते हैं ,
कोई पाखंड से अपने हमें भटकायेगा कैसे,
ख्यालों में हमारे बस विवेकानंद रहते हैं

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1 MAR 2019 AT 9:45

सरहद पर तो दुश्मनों से लड़ लेगा जवान
देश के भीतर जयचंदों की आप कीजे पहचान

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अपने जयचंदो की कर पहचान,
सबक सीखना पड़ता है ।
सामूहिक क्षमता वृद्धि में,
कुछ को लतियाना पड़ता है।
अपनों में भी रावण भ्रात,
पड़े मलाई खाते हैं ।
दूर भगा कर उनको खुद,
कुर्सी हथियाना पड़ता है
गोविन्द उपाध्याय की कलम से

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5 AUG 2019 AT 8:28

जिस देश में नाग की पूजा का विधान है
वहां के नागरिकों की तो आरती होनी चाहिए
लेकिन दुर्भाग्य चंद जयचंदों के बहकावे में आकर
आस्था,धर्म और संस्कृतियों का मजाक बनाया जाता है
और आज आदमी ही आदमी का दुश्मन बना हुआ है

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