बहुत कुछ कहना हो तो मैं किसी से कुछ नहीं कहता,
अकेले रहना हो तो मैं किसी से कुछ नहीं कहता;
तपोवन में कहीं बहती किसी निर्मल नदी जैसा -
मुझे भी बहना हो तो मैं किसी से कुछ नहीं कहता।-
Instagram : arunchaubey79
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सुना है दूर सरहद से कोई पैग़ाम आया है,
किसी के दिल का था टुकड़ा वतन के काम आया है।
किसी के हाथ की मेंहदी को धो डाला निगाहों ने,
किसी बेजान को जकड़ा किसी अपने की बाहों ने,
जो लिपटा है कफ़न से लड़ के वो संग्राम आया है;
किसी के दिल का था टुकड़ा वतन के काम आया है।-
पिता हर गूढ़ भाषा का सरल अनुवाद होता है,
पिता जीवन की त्रुटियों का मधुर प्रतिवाद होता है;
परिस्थितियाँ विषम कितनी भी हों संतान से अपने-
पिता हो मौन तो भी कर रहा संवाद होता है।-
हमको वीणावादिनी वरदान दे दो!
हम सभी अज्ञानियों को ज्ञान दे दो!
वाटिका का पथ जो भूले वह भ्रमर हैं,
हम पतन की ओर प्रतिक्षण अग्रसर हैं;
पथ दिखाकर नव हमें उत्थान दे दो!
हमको वीणावादिनी वरदान दे दो!
नित सुरों से हो रहा है युद्ध लगता,
वेदना से कण्ठ भी अवरुद्ध लगता;
गा सकें हम ऐसा कोई गान दे दो!
हमको वीणावादिनी वरदान दे दो!-
कूल से सरिता के मिलती नाव है,
चित्त के सान्निध्य में ठहराव है;
यह किसी से कुछ नहीं है माँगता,
प्रेम तो केवल समर्पण भाव है।-
मिथ्या जगत है सत्य का दर्पण हैं राम जी,
पाषाण को भी प्रेम का अर्पण हैं राम जी;
मर्यादा की प्रतिमूर्ति हैं पुरुषों में हैं उत्तम -
कर्तव्य के प्रति पूर्ण समर्पण हैं राम जी।-
हो कोई भी मुझसे हो पाती नहीं,
चापलूसी मुझसे हो पाती नहीं;
है बदल पाना मुझे मुश्किल बहुत-
जी-हुज़ूरी मुझसे हो पाती नहीं।-
लगाकर हाथ मिट्टी को कई सामान गढ़ता है,
हुनर के मामले में नित नए प्रतिमान गढ़ता है;
उजाला बाँटता सबको अँधेरा भूलकर अपना-
छुपाकर दर्द वो अपने सदा मुस्कान गढ़ता है।-
नहीं हैं शब्द कैसे मैं करूँ गुणगान नारी का,
बनाकर स्वयं अनुरागी हुआ भगवान नारी का;
लिखा है ज्ञानियों ने भी हमारे धर्मग्रंथों में -
वहीं पर देवता रहते जहाँ सम्मान नारी का।-
सुख में होता है कभी, दुःख में कभी व्यतीत।
सुख-दुःख के इस फेर में, जीवन जाता बीत॥
आगे-आगे सुख चले, पीछे दुःख भी संग।
दोनों ही समभाव से, जीवन के हैं अंग॥-