तेरा मुझपे ये ऐहसान रहे
तू इंसान है, तू इंसान रहे-
मैं अलमस्त फकीर
उसके पास कुबेर है
मेरे पास कबीर
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जीवन की देहरी पर
समय की सुइयां ठहरी हैं
बाहर मौत का पहरा है
और रात घनेरी है
ना शक-ओ-शुबह तू रखना
पास दवा-दुआ तू रखना
वक़्त का तक़ाज़ा है
सांसों पे मुखौटा रखना
मगर ये दौर भी जाएगा
और वो दौर भी आएगा
मातम-ज़दा ये मौसम
फिर से खिलखिलाएगा
और हम भी खुलके फिर से
जीभर सांस लिया करेंगे
अभी तो जान बचा लो यारों
कभी हम फिर से जिया करेंगे...-
ज़िंदगी बुलबुले सी
क्या पता कब ये बुलबुला फूटे
फिर काहे को इक-दूजे से रूठे
ना मन में मैल रखिए
ना मिज़ाज में मलाल रखिए
खुद भी निहाल रहिए
औरों को भी निहाल रखिए-
कुछ लोग काम करने में लगे रहते हैं
कुछ लोग काम करने वालों को
नाकाम करने में लगे रहते हैं
कुछ लोग नाम करने में लगे रहते हैं
कुछ लोग नाम करने वालों को
बदनाम करने में लगे रहते हैं
कुछ लोग हैं जो कारनामें करते हैं
कुछ लोग ऐसे हैं जो कांड करते हैं-
अनाज उगाने वालों ने आवाज़ उठाई है
ये किसान बनाम हुक्मरान की लड़ाई है
एक तरफ है सत्ता, एक तरफ है खेत
और दोनों के बीच में एक गहरी खाई है
अनाज उगाने वालों ने आवाज़ उठाई है-
क्या पाया, क्या खोया
साँसें रही तो अब्र ओढ़के सोया
ना रही तो कब्र ओढ़के सोया
यहीं पाया, यहीं खोया
जो पाया, वही खोया-
मील के पत्थरों से एक राब्ता यूं निभा लिया
मैंने रास्तों को ही अपनी मंज़िल बना लिया-
हक़ीक़त से यूं भाग नहीं सकता
क्या अंधा क़ानून
आंख से पट्टी उठाकर
एक झलक झांक नहीं सकता!!!-
भले ही मत समझो
मगर मत ग़लत समझो
मैं तो आदत मानूं उसे
तुम चाहो तो लत समझो
वो समझना भी ना समझना
जो ना शत-प्रतिशत समझो-