हे जगन्नाथ,
थाम मेरा हाथ,
अपने रथ में
ले चल मुझे साथ।
लुभाये न मुझको अब कोई पदार्थ
मेरा तो बस अब एक ही स्वार्थ
धर्म युद्ध हो या कर्म युद्ध हो
तू बने सारथि, मैं बनूँ पार्थ ।
मैं हूँ अनाथ
बन के मेरा नाथ
अपने रथ में
ले चल मुझे साथ।-
रथ भी उदास था, पथ भी उदास
अब जा कर आयी साँसों में साँस
अनलॉक हो गये प्रभु जगन्नाथ
करना न होगा उन्हें स्वगृहवास
भक्त नहीं तुझे खींचेगी भक्ति
अपरम्पार है तेरी शक्ति
व्यक्त भी तू अव्यक्त भी तू
तू ही जगत और तू ही व्यक्ति-
महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के सभी भक्तों को रथ यात्रा की मंगल बधाई
।। जय श्री जगन्नाथ ।।
।। जय श्री राम ।।-
वंदन बारम्बार है,
हे जगत आधार।
कृपादृष्टि रखिए सदा,
विनय करो स्वीकार।।
विनय करो स्वीकार प्रभु,
अरज है दो कर जोर।
सूर्योदय हो ज्ञान का,
तिमिर बड़ा घनघोर।।
घने तिमिर का नाश कर,
हरो अहम्-अभिमान।
मैं से मुक्ति हो मेरी,
जय-जय कृपा निधान।।
कृपा निधान रक्षा करो,
है अधर्म प्रचण्ड।
अभयदान दो धर्म को,
सब मण्डल रहें अखण्ड।।
सब मण्डल कल्याण को,
पग धर करिए पाथ।
माप सकल ब्रह्माण्ड दो,
जय हो जग के नाथ।।-
प्रभु के स्वस्थ होने से लेकर
देश के स्वस्थ होने तक कि हैं यात्रा 💐
जय जगन्नाथ 🙏🌸🌼
-
जय जगन्नाथ जय जगन्नाथ
सब हीं के सिर पर तेरो हाथ
संग संग सदा नाथ का साथ
कैसे कोई हो सकता अनाथ
जय जगन्नाथ जय जगन्नाथ-
राधा संग तूने प्रीत रचाई,
गोपियों संग रास रचाके तूने पुरे जग में धूम मचाई|
माखन तूने चुरा के खाया,
बांसुरी की धुन पे तूने चिड़िया को जगाया|
गैया तूने खूब चराई,
गोवर्धन से तूने मथुरा बचाई|
सुदर्शन उठाया की धर्म कि रक्षा,
असुरों को तूने तनिक न बक्शा|
प्रीत की राह तूने जग को सिखाई,
सुदामा से दोस्ती निभा एक मिसाल दर्शायी|
मईया को तूने बड़ा सताया,
मटकियाँ तोड़ तूने गोपियों रुलाया|
कभी चंचलता से सबको सीख सीखाई,
तो कभी कालिया नाग जैसों को धूल चटाई|
गीता का तूने पाठ पढाया,
अँधेरे से उजाले तक का मार्ग दिखाया|
सखा भी है तू और पालनहार भी है तू,
गोपाल भी तू और गोविंद भी है तू|
कान्हा है, कन्हैया है, घनश्याम भी है तू,
हरि है, हिरंयगर्भा है, जगन्नाथ है, जनार्धना है तू|
तेरी लीलाओं पे जाऊं मैं बलिहारी,
मुरली मनोहर मेरे रास बिहारी|
श्रिष्टी का तू पालनहार,
जन्मदिन पे तेरे हम करे प्रकट हमारा आभार|-
विनती करते हम भक्त तुम्हारे
खड़े सम्मुख जोड़ कर हाथ
संकट, विपदा दूर करो
प्रभु हे प्यारे जगन्नाथ...🙏-