सुनियें ,
आईयेंगा जब आप ,
तो रंगीन चूड़ियाँ ,
लेते आईयेंगा ,
पहनाकर उन चूड़ियाँ को ,
अपने हाथो से मुझे ,
मेरी रंगीन कलाई को ,
अदब से थाम लीजियेंगा ,
पर देखियेंगा कि कहीं वह ,
मेरी कलाई में ही टूट ना जायें ,
प्रेम के पल आने से पहले ही ,
यह अजब हो ना जायें ।
💕😍😍🤗🤗💕-
पहले तेरे नाम की होती थी
ये चूडीयाँ...
आज तेरे वहम की होती है .....
क्या कुछ नही बदला
तेरे जाने से...-
काँच सी नाज़ुक
रंग बिरंगी
टूटती, बिखरती
बिखर कर संवरती
ढलती किसी भी रूप में
ये ज़िन्दगी भी न
चूड़ियों के मानिंद होती है.....
-
ये कलाइयाँ नही बनीं सिर्फ चूड़ियों के लिए
समय आने पर ये हथियारों का नेतृत्व भी कर सकती हैं .-
सुनो! जरा एक काम कर दो
अपनी चूड़ियों को मेरे नाम कर दो
बन के चूड़ी तेरी कलाई में खंकुँ मैं
जल्दी से कुछ ऐसी इंतज़ाम कर दो-
तुम्हारे पायल की झंकार, मेरी धड़कने बढाती हैं,
तुम्हारे चूड़ियों की खनक, मुझे पागल बनाती हैं.....!-
लोग कहते हैं मैंने चूड़ियां नही पहन रखी हैं ...
ये पोषण करतीं है , ये कोई भार नही ...-
इस ईद, हम रुख़-ए-मोहब्बत कुछ इस तरह मोड़ देंगे..
तेरी लिए चूड़ियाँ लाकर सारा दिन देखेंगे फिर तोड़ देंगे..!-
मनिहारिन जब घर पर चूड़ियाँ देने आती तो
माँ कहती-'पक्की दिखाना', जो पक्की नहीं होती
तो माँ कहती-'चूड़ियाँ कच्ची है थोड़ी
दो कंगन भी दिखा, इनके आगे पहन लूँगी'
मैं पूछती-क्यूँ? माँ, कंगन क्यों?
माँ कहती-'अरे गुड़िया काम करते समय
अगर कंगन, कच्ची चूड़ियों के आगे रहेंगे तो
इन्हें ठेस नहीं लगेगी औऱ ये जल्दी नहीं टूटेंगी।'
कितना सच है ना ये!
किसी भी रिश्ते में दो लोग,
कच्ची चूड़ियों और कंगन जैसे होने चाहिए
ताकि अगर एक कच्ची चूड़ियों जैसा है तो
वो कंगन पर इतना भरोसा करे कि हाँ!
ये मुझे बिखरने या टूटने नहीं देगा कभी,
दूजा अगर कंगन सरीखा है तो वो
इतना भरोसा दे सके पहले को कि हाँ!
मैं तुम्हें कभी बिखरने या टूटने नहीं दूँगा।
"प्रेम भरोसे से अधिक कुछ और तो नहीं"-