अगर चुप्पी न कह सके प्रेम को
तो शब्द कभी नहीं कह पायेंगे-
""मौन""
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निस्तब्धता..........
गहन संवेदनाओं के
जाल में उलझा मन
अभिव्यक्ति से मुंह मोड़
एक लंबी चुप्पी को
होंठों पर ओढ़ लेता है,
और अपनी ही कशमकश में
विचारों के समंदर में
डूबता उतरता है ,
तब ये मौन....
कुछ भला सा लगता है।
संभावनाओं की खोज में
मन के अथाह जल में
यहां वहां भटकता है,
ढूंढता है वो सांत्वना भरे
शब्दों की सीपी जो
उसके सुलगते हृदय को
शांत कर उम्मीद के मोती से
आंखों में जीने की एक
नई चमक भर दे , पर
असफलता हाथ लगने पर
मन टीस से भरता है ,
तब ये निर्विकार मौन ...
कुछ भला सा लगता है।
....... निशि..🍁🍁
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कभी आँखों से कभी मुँह से बोलना अखर जाता है
दोनों ही गर शांत हो गए तो हर रिश्ता बिखर जाता है।-
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजुएं कातिल में है
ये कहते कहते हुए हंसते हंसते फांसी चड़ गए
आज़ादी के लाखों दीवाने
पर उन कुर्बानी गई बेकार क्यूंकि
हम आज़ादी का सही मोल ही न जाने
हमारी आज़ादी किसी को आहत न करे
तो ये सोच क्या हम दिल की बात न करे
कोई भी कभी भी हमारे अस्तित्व पर सवाल उठाए
हम कुछ कहे तो बस बवाल बन जाए
तो क्या डर कर हम भी सच से नज़रे चुराए
क्या बहरों को सुनाने तेज तेज न सुनाए
वो भी तो चार बार चिल्लाते है
तब क्यों नहीं घबराते है
हम भी ऐसा ही करते है
लो भई चुप ही रहते है
अपने ही घर में खुद को अजनबी कहते है
क्यूंकि हम धर्मनिरपेक्ष भारत में रहते है
यहां कुछ कहना याने अपना ही धर्म मिट जाएगा
कोई भी आकर ढोल सा पीट जाएगा
हमारे ही लोग बैठ के ताली बजाएंगे
उनके है सुर से सुर तब मिलाएंगे
एक अज्ञानता की काली पट्टी आंखों पर बांध
इस दुनियां से कुछ किए बिना ही चले जाएंगे
पर यदि हम भी चुप्पी से मर जाएंगे
तो क्या हम तब कायर न कहलाएंगे
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चुप्पी तुम्हारी
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चाय के ऊपर आई
मलाई की परत
जैसी लगती है
मुझे ये चुप्पी तुम्हारी
कप के किनारे पर
इस परत को टिकाना
और फ़िर पीना
किसी दिन चाय को
फील हो गया तो..!!
(कविता कैप्शन में)-
अनजान नही जज्बातों से तेरे...
और ना ही नासमझ हूँ...
सब देखती हूँ,
सब समझती हूँ,
कहीं खुल ना जाए गाँठ रिश्तों की
इसलिए अमूमन चुप ही रहती हूँ।-
कभी किसीसे इतना भी दिल लगाकर बाते ना किया करो कि उनकी चुप्पी आपके रूह को ही चुभ जाए.....
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लब्ज खामोश है आज कुछ बोलने के लिए
सुना है चुप्पी सबकुछ बया कर देती है
चलो देख ही लेते हैं आज कोण समझता है
दास्ताँ ए राज...-