भाईचारा तब तक निभाएँ
किसी भाई का चारा न बन पाएँ-
चारा चारों ओर तुम्हारे,
फिर काहे की है लाचारी?
जिससे चाहो करो गुटरगूँ
शब्द तुम्हारे, चोंच तुम्हारी।।-
1222 1222 122
सुकूँ ज़हनी कहाँ पाया है कोई
मुहब्बत के सिवा चारा है कोई।1
बहुत मुमकिन है तुम ये भूल जाओ
तुम्हारी याद में रोया है कोई।2
नहीं मिलता कोई हमराज़ मुझको
जिधर देखो दिखे तन्हा है कोई।3
गज़ल जीता है, ग़ज़लों में रहा जो
बताओ सिरफिरा देखा है कोई।4
मुहब्बत हो ग़ज़ल से या कि महबूब
मुहब्बत सा नहीं प्यारा है कोई।5-
वक़्त ऐसा भी आया है ज़िन्दगी में
जब मेरा ख़ुदा भी मेरा नहीं था
आंसू छुपा के आँखो में
मुस्कुराने के सिवा कोई चारा नहीं था-
नाचीज
यू ही तो ये उम्र नही गुज़रती
बेवज़ह तो जिंदगी भी नही मिलती-
नन्यानबे के फेर में पड़ने का, पर और कोई चारा न था
यूंही देरसबेर करने का, पर अच्छा कोई मशवरा न था-
ज़ख्म देकर पूछते हैं
अक्सर कुछ लोग हमसें
दीगर बात यही के आख़िर
बताओं तो सही आज़कल
आपके हाल चाल कैसे हैं-