दुआ सलाम करनें में
भला एतराज़ कैसा
हक़ ईमांन पर हो तों
फ़िर किसी से भी आपका
राब्ता हो तो डर कैसा
और गर ईमांन से गिर गऐ
तों फ़िर ख़ुदा से और अपनो से
वास्ता कैसा जब नफ़रत ही है
दिल में तों रिस्तो कें बोझ को ढोना कैसा
-
तुम ही बताओं क्या आख़िर
ऐसा क्या बुरा किया मैंने
बुरे से बुरे है और गन्द से गन्द
मगर कसम खूदा कि सिर्फ़ और सिर्फ़
आपके हीं है जीस नज़र से आपको देखा
कभी कसी को नहीं देखां है
जो बुग्ज हमारे खिलाफ़ आपके दिल में है
यक़ीन है एक न एक दिन ज़रूर कम नहीं
बल्कि खत्म होगा और ईस घर में दुल्हन की
डोली आई मेरी और मैरी मयत की ही डोली जाएंगी
हा मे अब ईस घर को आपफो छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगी कभी भी नहीं मरते दम तक नहीं-
Ya allah mot bhle hi
kal deta aaj dede
Magr jilt or iljam ki
jindgi mat dena-
ऐ मेरे रहबर सच कहाँ था
की काजल से भी काला कलंक होतां है
और ऐ बात तब समझ में आती है
जब कोई औकात हमारी हमे बताता है
-
जो रिस्तो को मिलाता है
और मुझे मेरे अल्लाह पर
पुरा भरोसा है कि वो मेरे
हर एक दिल अज़ीज़ के
दिल को पाक करेगा निफाक से
भरोसा वो रास्ता है
-
मतलब की दुनियादारी से
दिल भर गया है
दोगलेपन की वफादारी से
दिल भर गया है
अपनों में गैरो की सांझेदारी से
दिल भर गया है
-
मगर खटी मिट्ठी मोहब्बत की
प्यारी यादें वहीं की वहीं रह जातीं हैं
मौसम आते जाते हैं-
मेरी जान से भी बढ़कर मेरी मोहब्बत है मेरी मोहब्बत मेरा हमसफ़र मेरा हमकदम मेरा हमदर्द मेरा मेरा हमनशी है🤲😘
-
हम तो जो दिल में होतां है
वो ज़ाहिर कर देते है
आप हमें समझ सकतें हो बस ईस लिए
मगर आप ही जाने क्यूँ हमसे
खुलकर बातें नहीं करतें हो
सायद हमसे ही कभी कहीं ना कहीं
कोई न कोई ग़लती रह गई है
-