चमचों की बन गयी सरकार
हीरों को माटी में दबा दिया गया
भेदभाव और दिखावे की नीति कुछ ऐसी बनी
कौवों को भी सफेद रंग पोतकर
हंस बता दिया गया...-
मित्र की चमचागिरी नही करनी चाहिए अगर वो कोई गलती कर रहा है तो उसे अवगत कराना चाहिए...
ये ही सच्ची मित्रता होती है...चमचे और मित्र में ये ही अंतर होता है कि दोनों साथ रहते है पर चमचा हमेशा मीठा बोलता है पर मित्र खरी खोटी भी सुनाता है ...-
हे प्रभु, ऐसा क्यूँ होता है ?
मेहनतकश को क्यूँ परखा
जाता है ?
चमचों की भरमार है...
जिनका आँखों में धूल झोंकना
व्यापार है
मर्यादा से वो परे जा रहे हैं ..
दौलत से तिजोरी भर रहे हैं ..
सज्जनता देखो रौंद रहे हैं
देख देखकर वो रो रही है।
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व्यक्ति विशेष हो या स्वयं सभी अपने-अपने नाम एवं स्वार्थ के बारे में ही सोचते हैं। इसीलिए स्वयं कर्मयोगी बने, चमचागिरी नहीं करें...
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अरे! चीन चन्द्रमा पर झंडा फहराने वाला दूसरा देश बन गया और हम अपने ही किसानों को गद्दार साबित करने में लगे हैं।
😒-
चमचे लोग चमचागिरी उन्हीं की करते हैं
जिन्हें चमचागिरी पसंद हो...
जो लोग अपना कर्त्तव्य समझ कर मदद
करते हैं.उनका तो फायदा ड़के की चोट
पर उठाते हैं...और तुमने किया ही क्या है?
का लाँछन भी लगाते हैं-
कर लो मेहनत जी जान से जितना तुमको आता है,
पर चमचागिरी के शौकीनों को सब कम पड़ जाता है।-
सनद रहे!
जो मक्खन लगाता है उसके हाथ में चाकू जरूर होता है।
(एक सीख)
@@ मायावी दुनियाँ-
सुनो! सुनो! सुनो! असहिष्णुता लोट आई है
चुनाव है सर पे, चोरो ने आवाज लगाई है
इस बार भी खेल, फिर से वही हम खेलेंगे
चुनावों का मौसम है, दाव पेंच वही पेलेंगे
जात पात में तोडेंगे, धर्म की आग लगाएंगे
सुन ले ऐ मोदी सरकार, हम तो तुझे गिराएंगे
पिछली बार हार गए थे, यह बारी हमारी है
हार गए तो राग पुराना, दोहराने की तैयारी है
EVM में गड़बड़ी है, हम ऐसा शोर मचाएंगे
जितना भी हो सकता है, झूठ तो हम फैलाएंगे
पिछली बार चमचो में, दलितो का साथ मिला
इस बार वैश्य, ब्राह्मण, क्षत्रिय और जाट मिला
अपनी मौत का गड्ढा, तुने खुद ही खोद लिया
जब से तूने मोदी, दलितो को अपनी गोद लिया
"अब की बार मोदी सरकार" राग पुराना हो गया
धूर्त, कपटी, लूटेरो का ठगबंधन याराना हो गया-