हर बचपन ख़ूबसूरत नहीं होता है...
किसी के बचपन में मायूस अंधेरा भी होता है।
जरूरी नहीं कि हर बार गरीबी को दोष दिया जाए,
खिलौनों की बस्ती में बिन दोस्त,
अकेलापन राजा होता है।।
माना बच्चे रोते हैं चोट लगने पर और
एक अनाथ का जीवन कभी आसान नहीं होता है।
लेकिन कोई मासूम मां - बाप की बहस को देख,
चुपचाप सिसक कर रोते - रोते सोता है।।
हर एक हाथ स्नेह से भरा हो ये ज़रूरी नहीं,
कुछ छुअन घिनौनी होती है।
और कई बार बच्चा अपनी उम्र से,
पहले भी बड़ा होता है।।
बीमारी, लाचारी, अक्षमता और अनाथ,
ये सब न हो, तब भी कई बार...
बचपन खूबसूरत नहीं होता है।
हर बचपन खूबसूरत नहीं होता।।-
फाड़ कर फेंक देनी चाहिए,
हर वो किताब!
जो बराबरी की बात करती है।
लिख देना चाहिए,
हर वो कड़वा सच!
जो आईना दिखाता है।
क्योंकि क्या फर्क पड़ता है,
क्या लिखा गया?
क्या फर्क पड़ता है,
क्या पढ़ा गया?
हकीकत यही है कि...
हालात
हर किताब से बड़े होते हैं।।-
एक सैलाब उमड़ा है,
हर साल की तरह,
इस बार फिर से...
सब बह रहा है,
कुछ मुर्दा मनों में,
कुछ जिंदा जहनों में।
सब ख़तम हो रहा है,
पर भूख है कि,
थमती ही नहीं।
सब तबाह हो रहा है,
क्या जिंदा! क्या मुर्दा!
सब सामान हो रहे हैं यहां।
समान नहीं, सामान...!
कुछ मुर्दा मन,
कुछ जिंदा जहन ।।-
अजीब-सा देश है मेरा!
यहां धन - धान्य के लिए
घरों में लोग,
लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
लेकिन
धन कमाने की उम्मीद
और
आजादी सिर्फ...
घर के लड़कों के हिस्से
रखते हैं..!!-
हर रोज अनगिनत सितारे...
फलक से टूट के गिरे,
किसी को ख़बर तक नहीं हुई।
चांद ने एक दिन,
मिजाज़ क्या बदले!
पूरे शहर में चर्चा हो गई।।
आसमान तो चांद का भी वही है,
और सितारों का भी वही।
आसमान तो फर्क नहीं करता!
फिर इंसानी नज़रों में,
क्यूं इतनी दीवारें खिंच गई?
अभी भी सितारे बेतहाशा,
गिर रहे हैं टूट कर।
पर ये इंसानी नजरें!
एक बार जो चांद पर टिकी,
सो टिक गईं...।।-
कुछ बड़े लोगों ने मिलकर एक व्यापार चलाया,
व्यापार अच्छा चला, सबने मुनाफा कमाया।
फिर कुछ सही लोग सामने आए और,
व्यापार के काला धंधा होने का सच सामने आया।
बड़े लोगों के कान बड़े हो गए, सकपका कर,
उन्होंने सही को मार गिराया।
पर सही की मौत से, माहौल बहुत गरमाया,
तो बड़े लोगों ने धंधे को जिंदा जलाया।
और मजे की बात तो ये है कि बड़े लोगों ने,
ओछा काम करके, बड़ा नाम कमाया
दरअसल बहुत ज्यादा बड़ा नाम कमाया।।-
उनसे क्या ही कुछ कहना,
जो खुद को ही सब कुछ समझते हैं।
मलाल तो बस उनसे है!
जो सभ्यता की बात करते हैं,
और खुद...
"मां - बहन" को रिश्तों से ज्यादा,
गाली में इस्तेमाल करते हैं।।-
बड़े लाड़-प्यार से मां बाबा ने,
मुझे इक उम्र पाला था।
इज्ज़त की मौत का तो नहीं पता,
पर हां!
जन्नत तो खुदा शायद बख्स ही देगा।
क्योंकि मुझे मेरे खुदा,
मेरे मां बाबा ने अपने हाथों से मारा था...
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