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वजन कम करने के लिए
बहुत मन मारना पड़ता है
सब खाते हैं रोटी
हमको चना चबाना पड़ता है😢
🤣🤣🤣🤣-
"गुटखा"
गुटखा खाबत जग गया , चना चावैना खोय।
तासों तन जर्जर भयो , तन रोग निवासौ होय।।
तन रोग निवासौ होय गैल में चलौ नहीं जावै,
पिचके दोऊ गाल बकरिया सों मिमियावै ।
कह "बुद्धू भुवनेश" चलत में लागे झटका,
सब चीजों को छोड़ अरे जो खावै गुटखा।।-
एक दिन नानी कही कहानी,
उसमे थे न राजा-रानी।
बहुत ही थी दुख भरी कहानी,
रोने को आए आँखों में पानी।
एक दिन चना कहा, सुनो भगवान,
तुम ही हो सबसे बलवान।
जिस रूप में भी, मैं हूँ रहता,
सभी कोई मुझे चाव से खाता।
इनसे बचने का दो कोई उपाय।
तुम ही बताओ क्या नहीं है यह अन्याय?
अब तुम ही मेरे प्राण बचाओ।
अपनी शरण मे मुझे तुम लाओ।
बोले तब हँस कर भगवान।
बात सुनो तुम आयुष्मान।
जल्दी दूर यहाँ से जाओ।
वृथा न मेरा मन ललचाओ।
इतने में भागे यजमान।
नाक मुड़वाई बचाई जान।
शेष हुई चना की राम कहानी।
अब उसने ईश्वर भी पहचानी।-
चना को
जानते हैं सभी
प्रोटीन का भंडार है।
चना चबेना है
हमें उससे प्यार है।
दाल है सब्जी है
रोटी है,मिठाई है।
चना जैसी चीज़
कैसे कैसे काम आई है।
पकौड़े पकौड़ी
चाव से खाइए।
नहीं हैं पसंद तो फिर
सत्तू ही बनवाइए।-
लगता था पहले सब १ से हैं मेरे हैं
हाँ १ ही नस्ल के हैं पर बहुत टेढ़े हैं
फिर देखा रास्ते तुम में ही हैं पर दो हैं
१ तुम्हारा और तुम में ही १ इनका
तुम चलते रहो मिले तो अच्छा
पर दुम लेके पता नहीं कहाँ की आएँ हैं
रोटी पता नहीं कहाँ की खाएँ हैं
राम की बात तो करते हैं पर राम के हैं नहीं
दशरथ के राम की नहीं, घट घट वाले राम की बात कर रहा हूँ
अच्छा है गर मिल जाएँ, इसकी खाकर तन जाएँ
इसके होकर जी पाएँ पररर्र
दुम लेके पता नहीं कहाँ से आएँ हैं
रोटी पता नहीं कहाँ की खाएँ हैं
#दुम #सीधी #क्यों नहीं होती
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एक बिहारी को गर नाश्ते में चने मिल जाएँ
तो बस यह समझो उसका दिन बन गया।-
अगर बिहारी हो और सुबह में चना न खाओ,
तो फ़िर बिहारी होने का क्या ही मतलब यारों।-