BHUVNESH KUMAR   (Bhuvi)
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Joined 14 December 2019


Joined 14 December 2019
2 MAY AT 7:12

होठों पे हसी है और दिल में तेरा प्यार लिए बैठे हैं
मुकम्मल हो ना हो, सपने आंखों में हजार लिए बैठे हैं
एक तमन्ना थी, हसरत थी जिस पे सब कुछ लुटाने की,
हम तो प्यार भी "भुवी" उन्हीं से उधार लिए बैठे हैं ।।

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27 APR AT 20:55

मैं एक लड़का हूं, हर बार मैं ये बात भूल जाता हूं,
ना जाने क्यों "भुवी" अपनी औकात भूल जाता हूं
फिर चलने लगता हूं ले कर चंद ख्वाबों का काफिला,
मैं समेट कर टूटे ख्वाब, फिर वापस लौट आता हूं।।

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16 APR AT 16:50

खिल उठता है दिल मेरा, तेरा चेहरा देख कर,
तेरे चेहरे में कोई तो जादू है,
अब नहीं सुनता मेरी "भुवी" दिल मेरा ही
शायद इस दिल पर तेरा ही काबू है।।

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21 MAR AT 12:33

गुम अगर हो जाऊं "भुवी" तो कोई बात नहीं,
मेरे बाबा भोले बस मुझे गुमराह मत होने देना।।

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19 MAR AT 15:22

कुछ इस तरह चला "भुवी" कारवां ख्वाहिशों का
ना मुकम्मल कोई हुआ, ना अपना कोई रहा ।।

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10 MAR AT 23:44

बरस कर आंख से जो कभी गिर जाऊं,
ख्वाहिशों की धूल में ऐसे लिपट जाऊं,
चारों तरफ होता रहे “भुवी” शोर बहारों का,
मैं टूट कर डाल से फिर पतझड़ में गिर जाऊं

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4 MAR AT 14:55

कि दिल यूं बेकरार रहता है,
ये दिल बस तुमसे प्यार करता है,
नहीं जाता हूं काशी काबा और मदीने में
मेरी नजरों को बस तेरा इंतजार रहता है

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27 FEB AT 9:02

ये दिल नहीं चाहता कि देखे मुझे रोता कोई,
मगर आंखों के आंसू और चेहरे की हसी बता देती है राज सारे
अब नहीं बची शक्ति हृदयाघात सहने की मुझमें
मैं टूट जाऊं तो टूट जाने दे , मुझे फेंक आए हैं मेरे सजाने वाले
और मैं तो एक आईना हूं भुवी तू मुस्करा के देखेगा तो मुस्कुराऊंगा मैं,
तू अगर बिखरा तो बिखर जाऊंगा मैं... तो बिखर जाऊंगा मैं

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25 FEB AT 9:40

मैं खो जाता हूं कहीं बाहर के शोर में
खामोशियां भी अब बेवजह सताती हैं
भूल जाता हूं जो भी जरूरी होता है
वक्त बे वक्त बस तुम्हारी याद बहुत रुलाती हैं

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21 FEB AT 5:10

खो देता हूं अपनी सारी समझदारी मैं पसंदीदा शख़्स के सामने,
एक समय वो था "भुवी" जब हम नज़रें भी नहीं उठाते थे

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