शैल सानिध्य   (🌞शैल सानिध्य 🌞)
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महाकाल की नगरी 🌞🌞🌞
Joined 24 August 2024


महाकाल की नगरी 🌞🌞🌞
Joined 24 August 2024

बदतमीज इंसान को ख़ामोशी दो,
वो स्वतः ही औकात में आ जायेंगे।

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कुछ रिश्तों की उम्र इसीलिए भी लम्बी होती
क्योंकि एक गालियाँ देता है तो दूसरा माफ़ी।

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गैरों के लिए आपकी अधिक उपलब्धता
आपके अस्तित्व और समय दोनों बर्बाद करता है
उनके मतलब ही उनके दोस्त यार हैं, आप नहीं।

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जिस इंसान की बोली में सिर्फ़ गालियां होती हैं,
उसकी इच्छाओं में, संसर्ग में सिर्फ़ ग़लत आदतें
और ग़लत लोगों का साथ होता है!

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तुम निर्वस्त्र होती तो सब को अच्छी लगती,
तेरे जख़्म दिख जाये तो सब भाग क्यों जाते?

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एक मर्द की हैसियत बताते हो,
जो थूक दे तेरी नग्नता पर वो
बाकई मर्द है!

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मेरी ख़्वाहिश सिर्फ़ एक,
बाक़ी तुम सब धूल हो!

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हर गली चौराहे पर घूमने वाले को मैं फॉलो करूँ,
लानत है यार ऐसे बेशर्म को फॉलो करने में हमें!

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ग़ज़ल,नज़्म, नगमें, गीत -गाने का क्या है,
धुन में आ जाऊँ तो झड़ी लग जाएगी।

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तुमको लिखता मैं आया हूँ ज्यों तू धर्म,
मैं जियूँगा तुम्हीं संग अपनी क़लम।

दिल से निकलती दुआ है तू सुन लो सनम,
मैं कहूँ संग सदी तुम, ये लो तुम्हारी क़सम।

न है हसरत ये मेरी कि चुमूँ मैं बदन,
वो है उल्फ़त नहीं जिसमें बदन हो नज़र।

दिल से लिखता ख़ुदी को ज्यों हैं कर्म,
मुझको हासिल सितम भी न होता है ग़म।

ढूँढूँ क्या मैं जहां में तुम किससे हो कम,
एक नज़र न सही मन तुम सातों जन्म।

दुखती आँखों से पूछो न इनके सबब,
भीगी आँखें भी मेरी हैं रखती अदब।

तुमसे जगता सुबह मैं हूँ लिखता नज़्म,
मेरी धड़कन है कहती तुम हो न भ्रम।

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