जहाँ ना पहुंच सके गाडी, वहां पहुंचे पहाड़ी💚😂✌️
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हर्चि ग्याई मेरु गौं कू दगड्या,
स्कूल्या ग्वेर खिलक्वार दगड्या
खोजी ल्यावा वै दगड्या चुचोंरा
गवै देली, गौं की सगोड़ी
खैरा-भूरा जनी तेरी मेरी वा जोड़ी
कखडी ना मुंगरी कुछ बी नी छोड़ी
गाली देंदी राई बोडी सगोडा
हर्चि ग्याई मेरु गौं कू दगड्या।
समलोंण्या ह्वेगे, अब गौं को गोर बाटो
जंगलू का ठंगरा अर धार को माटो
छैंछि क्या याद अखोड़ चुवारु
ढुंग्यो लगै तिल मिल छा झाड़ा
हर्चि ग्याई मेरु गौं कू दगड्या
कांधी हथ धैरी, स्कूल जाणू
पल्याछाला जैकी सुदि धै लगाणू
होली को भात गौं की बरात
बणाया रौला भांग पकोड़ा
हर्चि ग्याई मेरु गौं कू दगड्या,
तेरो मेरो दगड़ो, बामण अर पतडो
इन छूटी दगड्या जन गौं को सी सगोडो
देबता पूज्योंला, चल पन्देरा भेंट्योंला
तेरो मेरो दगड़ो फिर दून्या दिखौला
चल रे चल दगड्या गौं चली जौंला
चल मेरा दगड्या गौं चली जौंला
चल भै अब दगड्या वखि चली जौंला-
अरे लाटी! मि त्वेसे भोत प्यार करदूँ
पर तु कैमा बोली न रे, जमन खराब च
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जंक जोड़ भाग दौड़ घुँघट फुंफट से ऐथर
चम चमकदी ह्युंचुला कान्ठ्यूँ से जरा पैथर
वख त बसगळ्या बरखा मा चकोर सी छपतोल्यूँ छौ
परस्यूँ फुंड द्वी चार दिनूँ कु मि अपड़ा गौं जयूँ छौ
कुछ कच्ची कुछ पक्की पर रोड़ गौंपार तक जयिं छै
रोड़ मा अटगदा भजदा नन नौनू की टोली अयीं छै
गाड़ी फ्रंट सीट म बैठी मि अपड़ी खैरी याद कनू छौ
परस्यूँ फुंड द्वी चार दिनूँ कु मि अपड़ा गौं जयूँ छौ
गौं का बाटा वी छा पर अब मीथै पछ्यणणा नि छा
आँखि रगर्याणी खुटि डगड्याणी भीटा उगणेणा नि छा
मेरु त मंदिर की उकाल कटणा कु साँस भी कयूँ छौ
परस्यूँ फुंड द्वी चार दिनूँ कु मि अपड़ा गौं जयूँ छौ
छुयूँ की रस्यांण रौला का लिंगड़ा पन्देरा कु पाणी
चुला की आग सगोड़ा कु साग अखोड़ की दाणी
कखड़ी का झ्याल पेट सुरुक कै बचपन लुक्यूँ छौ
परस्यूँ फुंड द्वी चार दिनूँ कु मि अपड़ा गौं जयूँ छौ
आन्द बगत की रामा रूमी मील चाल सेवा सौंली
जरा पार्सल की कुटरी कटगड़ बटगड़ की थौली
देबतूं का सौं मेरु त वैदिन हँस भोरी की अयूँ छौ
परस्यूँ फुंड द्वी चार दिनूँ कु मि अपड़ा गौं जयूँ छौ-
ब्वै बुबा की वु धगुळी छ हँसुळी भि छ वु।
सम्मान च वुं कु नाक की नथुळी भि छ वु।
हर वार त्यूहार च वुं कु खुशयूँ कु रैबार छ वु।
बेटी नि च वु अपणु ब्वै बुबा कु संसार छ वु।-
ब्याली एक चाँदी कु तार सी दिखे लटल्यूँ मा
(कल एक चाँदी का तार सा दिखा बालों में)
द्यूरा चाँदी कु तार सी दिखे लटल्यूँ मा
(देवर, चाँदी का तार सा दिखा बालों में)
अभी ता ह्यूँ पोडालू बोजी ह्यूँ पोडालू
(अभी तो बर्फ़ गिरेगी भाभी बर्फ़ गिरेगी)
अभी ता ह्यूँ पोडालू बोजी ह्यूँ जामालू
(अभी तो बर्फ़ गिरेगी भाभी बर्फ़ जमेगी।)-
गढ़वाली शायरी
जिकुड़ी की छुई कबे तकी जिकुड़ी मा राली ,
माया भी सच्ची चा मेरी कबि तो गिच्चा पे राली।
बुराँशी की फ्वन दिखणी ऊ पलिया गौं की नौनी,
कौथिग मा सही दर्शन तो देदियाली ।।-
जेतैं औंदी जरा भी गढ़वळि
सू भी आज साहित्यकार बणिगे।
जीजा -स्याळी का चुटकुला गढ़वळि मा पढ़ि-पढ़ि
सू भी आज कलाकार बणिगे ।
हिंदी गीतों की भौंण मा ,नेगी जी का गीतों तैं गैकि
सू भी आज गित्वेर (गायक कार) बणिगे।
बोलि कैन मैं तैं गढ़वळि भौण च औणि तेरा ब्वन मा
आज देखि मैन त ,स्य भौण भी कखि हरची गे।
सालों बिटिन अपणा घौर नि बौडी जु,
सू भी आज पलायन पर लिख्वार बणिगे।
सेवा- सौलीं छोड़ि,गुड़ मॉर्निंग कनु कु आज रिवाज बनी गे।
शुभम चमोला।
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बधै च सब्यूँ तैं बल लगिगे आंग्ल नयु साल
2020 बटि 2021 मा मारि याल फाळ
उम्मीद च कि सबकु जीवन ह्वालु खुशहाल
जब आई छौ 2020 तब बि खुशी छाई
कै आस छै, कै उम्मीद छै जु पूरी नि ह्वाई
निरभै कोरोना कु इनु म्वार कैगे बुरु हाल
सुख-दुःख त जीवन मा आणु-जाणु रैन्दू
अपणों कु साथ बस हर घड़ी मिलण चैन्दू
करदी रैग्यों 2020 मा अपणों कि जग्वाळ
मनखि जीवन च कर्म अपणु करणा रौंला
मिली-जुली कि सबि अग्न्या बढ़दि जौंला
मुट्ठ बोटि कमर कसी हिक्मत बणाण ढाल
प्रार्थना करदु कि सबि राजी-खुशी रयां
हे प्रभु! दुःख-विपदा सब्यूँ कि दूर कयां
मनोकामना पूरी ह्वेजो सबि ऐंसु का साल-
तेरु मेरु साथ सदनी कु खट्ट टुटिगे।
हाथ कु रुमाल सी तू त छट्ट छुटिगे।।
बसगाळ सी बैठ्यों रौं मी त्यारा सार।
तू रूड़ी कु छोया सी पट्ट सुखिगे।।
मि खुण ही रैनि वु त्यारा ग्राह भारी।
हैंका दगड़ी तेरी टिपड़ी चट्ट जुडिगे।।
द्यो-द्यबता सब पूजिन त्यारा बाना।
फिर किलै मेरु भाग यु फट्ट फुटिगे।।
मि त सदनि माया कु द्यू जलाणु रौं।
अर तू बिना बात कु स्यु सट्ट रुठिगे।।
तु भग्यान त भलि हैंसणी-खेलणी छै।
मेरु पराण यख रो-रवेकि पट्ट घुटिगे।।-