एक गौं, चार मौ
चार उम्मीदवार
ऐंसु कुर्सी का सार
भै-भयात, पुरणी बात
कुर्सी का बाना
जुगत लगाणा, दिन-रात
बल गौं कु, होलु विकास
मैं मा रख्यां, ऐंसु विश्वास
मि छौं सबसे खास
सीमेंटेड बाटा बणला
पाणी आलु, ख्वालू-ख्वालु
मौजम रालु, जु मैं जितालु
फोन होणा, दिल्ली देहरादून
गाड़ी बंदोबस्त कयूं
वोट देण आयां, भारे! सूंण
अब जनता तेरी बारी
गल्ती न करि इबारी
पछतैली, 5 साल होला भारी-
पैली आंदोलन ह्वे छौ पहाड़ै पछ्यांण पाणा कु
अब आंदोलन च पहाड़ौ स्वाभिमान बचाणा कु
उठा खड़ा एकजुट एकमुठ ह्वे जावा सब्बि
हमरा गौं गुठ्यार बार-त्यौहार बच्यां राला तब्बि
अब बगत ऐगे दिदों माटी को फर्ज निभाणा कु
अब आंदोलन च पहाड़ौ स्वाभिमान बचाणा कु
सीधा-सादा भोला-भाला बणी जब तक रौंला
यों निठुर नेतों की गाळी कब तक खाणा रौंला
मिली जुली कट्ठा ह्वे जौंला ताकत दिखाणा कु
अब आंदोलन च पहाड़ौ स्वाभिमान बचाणा कु
हम छौ यखा मूलनिवासी यु पहाड़ हमारु च
यखा जल-जंगळ पर सिर्फ हक हमारु च
अब बगत ह्वेगे देश-प्रदेश धाद लगाणा कु
अब आंदोलन च पहाड़ौ स्वाभिमान बचाणा कु
भैर बिटी ऐकि देखा वु कुछ बि ब्वना छन
सत्ता का नशा मा धौंस हम तैं दिखाणा छन
बिल्कुल सै समय च यु तौं तैं ऐना दिखाणा कु
अब आंदोलन च पहाड़ौ स्वाभिमान बचाणा कु-
जख राम जीन् जल्म ले, वखि मंदिर बणि तैयार ह्वेगे।
चौदिशों मा प्रभु श्रीराम जी की, जय-जयकार ह्वेगे।।
बरसों बिटी जन-आंदोलन हूणों रायी मंदिरो बानो।
राम भगतों को दिख्यूं सुपिन्यो, अब साकार ह्वेगे।।
गौं-गल्या सैर सबि सजि-धजी गेन स्वागतै तैयारी मा।
देखा पूसो मैना कनि कार्तिकै बग्वाळ सी बहार ऐगे।।
कारसेवकों अर कै भग्तोंन् अपणी ज्यान गवें छाई।
तौंकु बलिदान दियों बरसों का बाद आज पार लैगे।।
देवी-देवतों दगड़ी आम जन हाथ जोड़ी खड़ा छन।
अयोध्या प्रभु श्रीराम जी का स्वागतौ तैयार ह्वेगे।।
सनातन धर्मो महत्व सबि जाणी गेन माणी गेन।
देश-विदेश "राम" जी की महिमा अपरम्पार ह्वेगे।।
आस उम्मेद सब कुछ त्वैमा हि च हे भगवान हमारी।
सियापति श्रीराम का 'अनूप' दर्शनों शुभ दिनबार ऐगे।।-
पैढ़ी-लेखि बण्या हम त
सिर्फ डिप्लोमा/डिग्रीधारी
नौकरी पौणा खुणि भारै!
योग्यता च रिश्तेदारी.!!-
तेरा मेरा बीच कुछ त बात छैंच,
ख्यालों कु दिन स्वीणों कु रात छैंच।
कागज कलम कु खुज्यो अब त,
माया कु रैबार भेजणौ पात छैंच।
मेहनतल द्वी गफ़्फ़ा खा ले छुचा,
साथ देणू जबतलक स्यु गात छैंच।
प्यार-पिरेम से रावा ईं दुन्या मा,
बचीं जबतलक भै-भयात छैंच।
भलु हैंसणु-खेलणु खाणू-पीणू छौं,
जब तुम जना दगड्यों को साथ छैंच।
नेतागिरी भलि चलणी राली यख,
लडाणों जबतलक जात-पात छैंच।
टुट्यां रिश्तों तैं फेर जोड़ी ले 'अनूप'
तुमरा बीच जब बणणी बात छैंच।-
सुद्दी-मुद्दी मी बि कागज पर कलम चलाणु छौं,
अपड़ी बोलि-भाषा मा आखरौं तैं गठ्याणु छौं।
रोजि-रोटी का बाना चलिग्यों मि दूर परदेश,
गढ़वळि गीत/कविता सूणी खुद मिटाणु छौं।
बड़ी मुश्किल से छुट्टी पास ह्वेगेन ऐंसु मेरि,
बग्वाळी कु भैलो खेलणु अपड़ा गौं जाणु छौं।
बरसों बिटिन छौं बनि-बन्या भाषी लोगों बीच,
फिर भि अपड़ी मातृभाषा मा मि बच्याणु छौं।
वा स्वाणी बांद आँख्योंन सनकाणी मिथै,
अर मि वींकि माया मा गीत लगाणु छौं।
कै सुपिन्या देखि मिन अपणि ईं जिंदगी मा
जी-जां से तौं पूरा कनौ मी रेस लगाणु छौं।-
अपना है जो हक जताना
तुम्हारी जीत को खुद की जीत
बताने का मौका ढूंढता जमाना-
मिजाण... चुनौ ऐगीं
देहरादून बास छाया जु
अचगाल वो गौं जनै ऐगीं
पांच साल वोन अफु
दै-दूध खूब सपोड़ी
बचीं छांछ हमथैं देगीं
वादों कs फंचा भोरि
लेकि आयां छन वो
गौं-गौं मs खूब बंटेगीं
जात-पात भै-बिरादरी
राजनीति कि जोड़-तोड़
ख़्वाळदार मs आग लगैगीं
फूल-माला पैनि, हाथ जोड़ि
कुर्सी कs बान, झाड़ू लेकि
सैकल, हाथी मs बैठि ऐगीं
जन्ता ज्वा जागिगे छै वीं
अपड़ी छुयों मs अळझे कि
यो कनु घंघतोळ कैगीं.??-
मगर हौंसला आज भी वही है
कदम कदम बढ़ाकर चलना है
जीत का एकमात्र मंत्र यही है-