बात महिलाओं की आये तो,
तारीफ़ तो बेशक़ बनती है उनकी।
यूँ तो हर दिन महिला दिवस है,
वैसे ही हर एक तारीख़ है उनकी।-
#Indian #भारतीय
"ज़ेहन में शामिल कर लो साँस की तरह,
कुछ अपने अनक... read more
अब तो ये शब्द भी कम पड़ रहे लिखने में।
इन शब्दों को पिरो के यूँ ही, कुछ भी लिख दूँ।।
कुछ सोच के पन्ने शब्दों में भारी से हो गए हैं।
फिर सोच के मैंने सोचा, कुछ तो लिख दूँ।।-
मुश्किल यही है कि कहना मुश्किल है,
कुछ शब्द मेरे ज़ेहन में अभी भी शामिल हैं।
मौन मैं रहना चाहता हूं पर इस दिल में,
कुछ शब्द कुछ वाक्य मेरे ज़ेहन में अब शामिल हैं।-
कभी लिखो मंत्रों में कभी कलमे पे भी लिखो,
अगर लगता है तो अपनी फितरत पे लिखो।
मैं अगर हूं जो लायक हो सके तो कुछ मुझ पे लिखो,
कुछ अपने पे तो कुछ अपनों की कहानी पे लिखो।-
सुनो! आज ऐसा हुआ कि,
कुछ समझ नहीं आया।
कोई ख़्वाब पुराना टूटा हो,
या ख़्वाब नया मुझे आया।
कुछ समझ सकूं इस बात को,
इतना मुझमें अब ज्ञान नहीं।
ये हुआ क्यों या हुआ ही नहीं,
ये आत्मबोध ना हो पाया।-
फिर से नए दिन की शुरुआत,
और गौरैया सी चहकती सुबह।
हर खुशबू को अपने में समाये,
अपने आप से बहकती सुबह।
हर पल को अपने रंगों में समेटे,
ताज़ी चाय सी महकती सुबह।-
हे गणपति हे पार्वतीनंदन,
विघ्नहर्ता मंगलमूर्ती मोरया।
पूर्ण करिए काज सभी अब,
दुःखहर्ता सुखकर्ता बप्पा मोरया।
एकदंताय रिद्धि सिद्धि प्रदाय,
गणपति बप्पा मोरया।-
कभी ख़ुद में ही उलझी कभी झूठ में डूबी,
कभी सच्ची सी सीधी नज़र आती जिंदगी।
फूहड़पन से लेकर अल्हड़पन दिखलाती,
व्यस्त बनाए सबको ये रील वाली ज़िन्दगी।-
मैं इक साधारण सा पत्थर,
वो बुत संगमरमर - ए - पाक।
वो मुझसे हर चीज़ में अव्वल,
और मैं हर एक मौके में ख़ाक।
रूह उसकी किरदार उसका,
चमके जुगनू जैसे जलवा ताबनाक।-
ऊँची उड़ानों में हौसलों पर,
और अपनी उम्मीदों से ज़िंदे।
कभी नीचे तो कभी ऊपर,
उड़ते आसमान के परिंदे।-