दूध तुम्हारा अमृत जैसा
मूरत तुम्हारी ममता सी,
गव्य तुम्हारा भव्य बनाता
धरती तुमसे सुखद सी,
बलायें टाल शगुन बनाती
तुम कान्हा की दुलारी सी।
!! गोपाष्टमी की मंगल बधाई !!-
रोहिणी के नाम से वो, माँ प्रचलित मेरी।
सरूप माँ सुंदर हैं, मुझे तुम प्यारी हो।।
सुरभि जग की माता, अभिलाषा पूरी करो।
शुद्ध तुम विचार दो, बुद्धि और ज्ञान दो।।
रहूँ सदा तेरे पास, खुशियों की कामना।
चारों वेद मुख में हैं, ज्ञान का विचार दो।।
चंचलता से पूर्ण हो,तुम सुखदायीं माँ।
जब तुम्हें आँखे देखे, शान्त मन खुश हो।।-
कृतिदीप
सच्चे हो गौ भक्त यदि, अमल करो हे भाइ।
सरकारी नौकर नहीं, हो गौपाल जमाइ।।
यदि आप सच्चे गौ भक्त हैं तो अपनी पुत्री का विवाह सरकारी नौकरी वाले से नहीं अपितु गाय पालने वाले से कीजिए।-
जिसकी सेवा में रहते है,
खुद गिरधारी सुबह-ओ-शाम।
शत-शत नमन गौ माता,
तुमको मेरा बारम्बार प्रणाम।।
तुम्हारी नित-प्रतिदिन,
सेवा से मिलता मोक्ष धाम।
एक ही जनम में मिल जाते,
कई जन्मो के पुण्य तमाम।।
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*गौ माता*
मां बोली के सब पुकारदा त्वे थे,
पर जब रोन्दी भूखी प्यासी,
तब सब भुली जान्दा त्वे थे ,,,,,,, !!
ये मतलबी दुनिया मा ,
आज इंसान, इंसान कु
दर्द नि बाट सकदा
त्वे थे द केन पुछणु,,,,,,!!
बस जब तक तु देली दूध,
तब तक द क़्वे त्वेथे नी छोड़दु
जब ह्वे जान्दु अपुण मतलब पुरु
वेका बाद नी जाणदा कु छॆ तु,
तेरू दर्द केन नी समझी
तेरू यूँ आसू केन नी बिंगी ,
मां बोली के पुकारदा छ त्वे थे,
पर तेरू दर्द केन नी समझी,,,,,,,,!!
------❤Divya pharswan ❤-----— % &-
क्या हम गौ पलकों से पूछ सकते हैं,
जिस गौ माता का दूध वो हमें बचते हैं
और
हम उनसे खरीदते हैं,
उन गौ माता से जन्मे बछड़ों
तथा
उनके बूढ़ी हुई गायों का क्या होता है?
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यदि आप
गाय से दूध दुहते है
तो आप आम आदमी है
यदि आप
गाय से कुर्सी दुहते हैं
तो आप नेता है
यदि आप
गाय की आड़ में
अपना उल्लू सीधा करते है
तो आप "कथित गौभक्त" हैं
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# 05-09-2024 # प्रभाकर भारतीय कृत काव्य कुसुम # गौ रक्षक # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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देश में नफ़रत का बाज़ार, अब इस कदर सजाया है ।
गोलियों से छलनी करके, सौहार्द को लजाया है।
हिंसा से मानवता को रौंद, गौ रक्षक कहलाते हैं-
अब गौ भक्तों के लिबास में, हिंसक बैंड बजाया है।
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हम आर्यावर्त के वासी हैं, "गौ को भी मैया" कहते हैं,
जिसका अमृत पीते हैं, उस को "गंगा मैया" कहते हैं;
इक माँ ने जन्मा हमको पर कई माँओं से प्यार मिला
है प्रेम हमें "भारत भू" से, इसे धरती मैया कहते हैं।-