"चंदनबाला" को पड़गाहन और समता का उपदेश दिया,
"संगम देव" ने कष्ट दिए पर उस से ना कोई द्वेष किया।
वीर प्रभु की वाणी से हमने बस जियो और जीने दो सीखा,
पर उन ने 'मोक्ष की राह' दिखा कर 'जीने का उद्देश्य' दिया।-
अब मेरे बारे इतना क्या पढ़ना मुझसे ही पूछलो ज़नाब ☺!!!
मुझ में वृत्ति नही ' राम ' सी,
ना लक्ष्मण सा त्याग पला है।
फिर भी उस को जला रहा हूँ,
जो सदियों में सौ बार जला है।-
अपनी 'अच्छाइयों' को यूं बुराइयों में मत ढालना,
गालियां देना 'फैशन' है, ये गलतफहमी मत पालना।
चाहे लड़का हो या लड़की, इज्जत सब को पसंद है,
गर सम्मान दे ना सको, तो कीचड़ भी मत उछालना।-
दिलों में लगी जंग को, अपने रवैये से कंचन करें,
आओ ! खुद पर कुछ अच्छाइयों का सिंचन करें।
हम ने बहुत कमाया , पर साथ सिर्फ पुण्य जाएगा,
तो चलो,व्यर्थ को छोड़ें और खुद में आकिंचन भरें।-
धरा की धूल ही रहते , कभी आसमान ना बनते,
जगत में पूजा जाता है , कभी वो नाम ना बनते।
अगर वे रहते महलों में, किसी राजा के ओहदे से,
महज एक राजा ही रहते,कभी भगवान ना बनते।-
हमें 'दीपक में बाती की तरह' खपना होगा,
हम से मिल पाना भी लोगों का सपना होगा।
तरासने से जो डरे तो तरसना होगा हमें,
'कीमती' जो बनना है , तो फिर तपना होगा।-
ना आसानी से हर किसी की बातों से बहल जाएं,
ना ऐसे बनें की छोटी-मोटी चीज़ों से दहल जाएं।
बस इतना नियंत्रण हम खुद पर पा सकें भगवान,
जब कभी हम गिरने लगें तो खुद से सम्हल जाएं।-
आप अच्छे होंगे तो, संभव है, कि सताए जाएंगे,
चतुर लोगों द्वारा कई बार बुद्धू भी बनाये जाएंगे,
भले ही झूठ का रावण पसारे पैर कितने ही,
अंत में दीप तो "राम" के नाम ही जलाए जाएंगे।-
हमने तरक्की की आड़ में, गाँवों को शहरों से मिलाया,
ख़ुद का मकान बनाया , पंछियों को शजरो से गिराया।
लालच "थोड़ा और कमाने की" बेतहासा बढ़ती रही,
फिर निष्ठुर बन कर खुद को खुद की नजरों से गिराया।-
दिखावा कर के लोगों को गुमराह क्यों करना ?
खुद की तारीफों पर खुद वाह वाह क्यों करना ?
कहा कुछ, किया कुछ और दिखाया कुछ और,
अब उसे सहते वक्त दर्द-भरी आह क्यों भरना ?-