प्रेम में हृदय जब जुड़ जाता है।
मन तपस्या की ओर मुड़ जाता है।
प्रार्थना प्रिय कल्याण की केवल,
मोह वासना का प्रेत उड़ जाता है।।-
अमृत दूं मैं इस जग को, स्वयं करूँ विषपान।। कुमारः
वागर्थाव... read more
ज्ञानी पल्लव सींचते,
जड़ को जड़मति सींच।
प्रेषित करने सब जगह,
चित्र सुहाने खींच।।
ज्ञानी तो उन हरे पत्तों को सींचता है जो वृक्ष के ऊपर की शोभा बढ़ाते हैं। हे जड़मति मूरख तू जड़ को सींच। क्योंकि शोभा युक्त चित्र हर जगह प्रेषित करना है अतः सुन्दर पत्तों संग चित्र खींचने हेतु पत्तों को सींचना बुद्धिमत्ता कही जाती है।-
बड़ी-बड़ी बातें करें,
जग में भाषणवीर।
करनी कथनी एक हो,
मिले न सन्त फकीर।।-
सावधान
इस समय साँप नेवले भी सड़क पर सैर सपाटा कर रहे हैं। कल सुबह ही 7-8 फीट लम्बा सामने से गुजरा। शाम को भी 4 फीट लम्बा सरपट दौड़ रहा था। बाइक के नीचे आते आते बचा, दोनों पैर ऊपर उठा कर बाइक दौड़ाइ।-
दिन में जो अनुभव मिले,
बनते वही विचार।
जब भी रिक्त समय रहे,
कर लीजे विस्तार।।-
हनुमज्जयन्त्याः शुभकामनाः
बुद्धिमन्तं गुणागारं ज्ञानवन्तं महाकपिम्।
भक्तशिरोमणिं देवं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।
बुद्धिमान, ज्ञानवान, गुणनिधि,
भक्त शिरोमणि देव महाकपि
हनुमान् को बारम्बार
प्रणाम करता हूँ।-
सरल सुखद सुन्दर शुभद,
सात्विक सत्य विचार।
शब्द सरित सागर बहे,
रचे नया संसार।।-
तेरा मुझसे रहा न कोई वास्ता
फिर भी देखें ये आँखें तेरा रास्ता
रंग खुशियों के कम थे खतम जो हुए
आंसुओं से लिखी प्यार की दास्तां-
किसी ने एक प्रेमी से पूछा - प्रेम क्या है?
प्रेमी ने उत्तर दिया - प्रेम प्रतीक्षा है।
उसने फिर पूछा - क्या प्रतीक्षा मिलन की?
प्रेमी ने कहा - मिलन की नहीं, मृत्यु की।-