रंग भी अपने रंग में रंग जाता है,
जिक्र जब भी उसके गोरे रंग का आता है।
यूं तो हजारों पैमाने बने खुबसूरती के वास्ते ,
बारी उसके गोरे रंग की आई तो एक एक पैमाना टूट जाता है।
वो चांद जिसको मिसाल देती है दुनियां खूबसूरती की,
ओहो ! वो चांद भी बेमिसाल तब होता है जब वो गोरा नज़र आता है।
उससे रोज मिलने की ख्वाहिशें अगर हैं मुझे तो क्यूं न हो,
उसके गोरे रंग को देखते देखते उसका आईना भी निखर जाता है।-
काले गोरे के भेद में कट रही है
एक नन्ही जान की जीवन
कुछ रंग रूप के मालिकों ने
ले लिया है समाज में
भेदभाव बनाए रखने का ठेका
जिस नन्ही जान ने सभी रंग पहचाने भी नहीं
वो बस अपने रंग की अस्तित्व में है भटक रही
कैसे उड़ पाएगी वो ऊंची उड़ान
जब हर मोड़ पर उसे नीचा दिखाएगा ये जहान
मत ले इतना बोझ अपने सर तू
कहीं टूट ना जाए तेरे रंग का ये गुमान
गोरे रूप का क्या करोगे तुम
वो बस होती है सजावट की समान और
उसे होता है अपने रूप का गुमान
रूप तो वो कहलाता है सुनहरा
जिसके अंदर बसती हो ज्ञान और
विनम्रता कि देवी।।।।-
मैं सांवले रंग की वो गोरा बहुत है पर
मेरे सांवले रंग पर वो मरता बहुत है
दीदार अगर न भी हो तो मुझे कोई फर्क नहीं
उसकी आवाज़ से ही सुकून मिलता बहुत है
मैं सांवले रंग की वो गोरा बहुत है........
नींद उसकी आँखों से सदा रूठी सी रहती है
जागती आँखों से ही वो सपने देखता बहुत है
मैं सांवले रंग की वो गोरा बहुत है पर
मेरे सांवले रंग पर वो मरता बहुत है-
मीठे से ज्यादा, मुझे तीखा पसंद है।
गोरे से ज्यादा, मुझे सांवरा पसंद है।।-
दो रंगों का भेद यहां
एक गोरा एक काला
सब मोहित है गोरे पर
काला किसी को ना भाया
सोचती हूं कभी मैं
मिट्टी भी तो काली है
उसमें है कितनी खूबी
वह कितनी निराली है
बीज जो पड़ जाए उसमें
तो वृक्ष बन जाता
फिर नारी का काला रंग
क्यों नहीं किसी को भाता
क्या है वजूद मानव का
उसे एक दिन जाना है
यह शरीर बना मिट्टी से
मिट्टी में मिल जाना है
सब कुछ हो जाता खत्म
राख का ढेर रह जाता है
अंत में गोरा रंग भी
काले में मिल जाता है-
काले अच्छे नही,गोरे लोग अच्छे होते है
गोरों को बूरा से बूरा होते,क्या तुमने देखा है??
मैंने देखा है।
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खफा ये जिस्म हैं, गोरे रंग ने छेडी जो जंग हैं ,
वफ़ा भी बेवफा हैं, काले रंग ने जो बांधी जज़्बातो की डोर में इश्क़ की पतंग हैं ।।-
होंगे कई आशिक़ गोरे हुस्न के,
हमने तो साँवली सलोनी को अपने दिल में बसाया हैं....!-