कैसे हो पापा ,
मैं आगयी हूं आपको हँसाने इस दुनिया में,
आपका रूखा जीवन संवारने,
आपको थोड़ा खुशियों सा भर्रा रुलाने,
जरा थोड़ा सा मुस्करा तो दो,
मैं आगयी हूँ आपका दिल बहलाने,
आपको तमन्ना थी कब से मेरी आने की,
मैं आगयी हूँ वो घर आंगन महकाने
मैं आगयी हूं पापा 😊
आपकी प्यारी गुड़िया!
Blessed with 🌼 baby girl👧 today
First Poem for my daughter-
चलो आज जिंदगी के रंगमंच पर फिर एक किरदार निभा लेते है
हम मुस्कुरा मुस्कुरा कर अपने आंसू सबसे कहीं तो छुपा लेते है
इसका ये अर्थ कदापि नहीं की बेड़ियों का यह अहसास कम है हमें
ऐसा भी कुछ नहीं की इस दुनियां में सबसे ज्यादा बस गम है हमें
फिर भी चलो आज मिलकर अपनी आज़ादी के फिर एक आवाज़ लगा देते है
शायद कोई तो सुन ले हमारी खामोश चीखें सुबकते आंसू जो हम यूं ही बहा देते है
आज़ादी का अर्थ हमारे लिए तो दुगुनी मार ही हो गया है अब
बाहर और घर के काम अकेले ही करने पड़ते हमको है जब
हम कदापि यह नहीं कहते कि आप घर के काम हमारे साथ कीजिए
मगर हमारे पास बैठ कर बस आप कभी तो प्यार से मुस्कुरा दीजिए
बोझ हो जाएगा थोड़ा तो हमारा कम जब आप प्यार से हाथों में हाथ देंगे
करना कुछ नहीं आपको बस एक वादा कीजिए की आप हर कदम पर साथ देंगे-
//गुड़िया-जादू की पुड़िया,//
उसके जन्म पर घर में खुशियाँ मनाई
दो पीढ़ी बाद घर में देखो लक्ष्मी जो आई
चाचा ताऊ खुशी मनाए नाच रहे है भईया
दादा दादी मिठाई बाँटे माँ बाऊजी ले बलईया
सबकी परेड कराती, जब छम-छम करती चलती
तोतली बोली से अपनी,पल में सबका मन हर लेती
भईया, चाचा, ताऊ देखो सबको नाच नचाए
बात बात पर रूठे ऐसी सब उसको ही मनाए
ऐसी प्यारी छैल-छबीली है ये हमारी गुड़िया
पल में हसाए,पल में खिझाए जादू की ये पुड़िया
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दाव पर जरूर तब कुछ,
ज़िन्दगियां झूलती होंगी,
यूंही नहीं कोई अपनी गुड़िया को,
तवायफ छोड़ आता है।।-
मैं बनकर रह लूंगी
बस उनकी ही गुड़िया.....
आ जाए झुरियां या
हो जाऊं मैं बुढ़िया.....
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बचपन में मेरे पिता ने
गुड़िया से नहीं खेलने दिया
ताकि मैं बड़ा होकर किसी
लड़की के साथ ना खेलू-
समागम
भू का
नभ से करने
सहस्र रेखा
खींचती।
वर्षा
युगों की
कण-कण को
शचि मेरी
सींचती।-
अनोखा मौन प्रेम...?
एक थी गुड़िया प्यारी सी, एक था गुड्डा भोला सा
वो समय पुराना, माहौल जरा कुछ दबा ढँका था
दोनो संकोची गुड्डा गुड़िया, दोनों बेहद मेधावी थे
संग कॉलेज में पढ़ते थे पर कभी बात न करते थे
टुकुर टुकुर बस एक दूजे को यूँ ही देखा करते थे।
Read my Caption's-
लड़कियां अक्सर प्यार में ,
घर बना लेती है ख़्वाब़ का ,
और... खेलती रहतीं हैं ,
गुड्डे - गुड़िया का... खेल ।-
छोटी छोटी सी बातों को लगा अपने दिल में रोती थी गुड़िया,
अब चाह कर भी रो नहीं पाती पापा की नन्ही सी गुड़िया...
वह बूंद पानी के थे अब नहीं शायद वह बर्फ के टुकड़े है,
बहे भी तो कैसे, खा लेती उस बर्फ को प्यारी सी गुड़िया....
नन्ही नन्ही बातों को नन्हे दिल में कैद नहीं कर पाती वह गुड़िया,
वंदी कर लेती अब सारे गमों को, गमों की आकाश है गुड़िया....
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