✨Sanjay Hotwani ✨   (Solitude soul 🔥)
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Joined 17 October 2019


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Joined 17 October 2019
14 DEC 2024 AT 10:36

जैसे जैसे हम बड़े होते हैं तो क्या हमारी सोच भी बढ़ती है क्या उस तरह से? शयद नहीं!
मेरे नजरिये से सोच बदलती है बस,
एक जिंदगी का एसा भी पड़ाव आता है जहां कभी कभी लगता है के बस अब घर और परिवार की सब जिम्मेदारियां उठा ले
और वहीं दूसरी तरफ एसा भी लगता है कि काश फिर बचपन में लौट जाएं और दोस्तों के साथ खूब फिर मौज मस्ती करे जैसे किसी फ़िक्र और परवाह ना हो,
अजीब विडम्बना की अवस्था है यह!

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16 NOV 2024 AT 19:55

उफ्फ यह चुप सी रात
इस रात में तेरी यह चुपी!
उफ्फ यह चुप सी मुलाकातें
मुलाक़ातें भी हैं बस यह चुप!
उफ्फ यह चुप सी बातें
उफ्फ यह चुप सी रातें!

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27 OCT 2024 AT 19:35

क्या यह वक़्त चल रहा है हमारे साथ!
नहीं शायद हम चल रहे हैं इस वक़्त के काँटों के साथ!

क्या यह वक़्त दौड़ रहा है हमारे साथ!
नहीं शायद हम दौड़ रहे हैं इस वक़्त के साथ!

क्या यह वक़्त लगा है आजतक किसी के हाथ!
नहीं शायद कोई रख नहीं पाया इसे अपने साथ l!

क्या यह वक़्त मिला है किसी अपने के पास!
नहीं शायद अब वक़्त नहीं किसी अपने के पास!

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26 OCT 2024 AT 16:32

रूह की राह पर चलते हुए नजाने मै कब रूह की गहराईयों में उतर गया, गहरायां तो उस रूह में अनेक थी पर एक गहराई में मुझे इत्र मिला जिसकी महक से मै फिर से जी उठा वो इत्र मेरा ग़म था!

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20 OCT 2024 AT 21:47

जहां हम थे अकेले! क्या तुम थे वहां?
पर जहां तुम थे साथ, तब भी अकेले ही थे हम वहां!

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23 JUL 2024 AT 11:09

इंसान पैसा कमाने के लिए पहले अपना सुकूं खोता है!
फिर उसी पैसे से सुकूं पाने के लिए जिंदगी भर रोता है!

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18 JUL 2024 AT 22:35

एक हिस्सा था मेरे पास जो तुम ले गये वो था तेरा ही!
पर एक हिस्सा मेरा भी रह गया पास तेरे ही, जो कभी दिया था तुमने ही!

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15 JUL 2024 AT 3:30

कहने को तो मैं इस दुनिया में एक मुसाफ़िर हूँ!
पर दुनिया की नजरिये में मैं!! एक काफ़िर.

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14 JUL 2024 AT 12:33

इश्क किया था तुझसे बेइंतिहा कमबख्त पर वो मुक्कमल ना हो सका!
मुक्कमल अगर जो होता वो इश्क मेरा, तो आज मैं तुझसे जुदा होता!

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12 JUL 2024 AT 1:58

कभी कभी सोचता हूं एक खत तुम्हें लिख ही दूँ!
फिर खयाल आता है कि क्या उस खत में तुम्हें वो जवाब मिल जाएगा?
जो सवाल मैं सोच रहा हूँ!
देखो ना ख्याल भी कितना अजीब है! सोच तुम्हारे बारे में रहा हूँ, पर लिख खुद के लिये रहा हूँ!
पर क्या यह सच में एसा होगा जो मैं सोच रहा हूँ वो तुम मुझ जैसे मुझे समझ पाओगी!
देखो कितना कठिन है यह खत लिखना भी,
मुझे आता नहीं लिखना फिर भी खुदको लिख रहा हूँ
तुम्हें भेजने के लिये!
जो कभी शायद तुम तक पहुँचे
मेरे जाने के बाद!

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